UP Cabinet Decision: अब कृत्रिम बालू भी उपखनिज में शामिल, उप्र उपखनिज नियमावली 2021 को मंजूरी
कृत्रिम बालू बड़े-बड़े पत्थरों को पीसकर बनाई जाती है। साथ ही कृषि भूमि पर बरसात के कारण जमा हुई बालू मौरंग बजरी व बोल्डर को हटाने के लिए दोगुनी रायल्टी पर तीन माह की अवधि का खनन पट्टा मिलता है।
लखनऊ, राज्य ब्यूरो। प्रदेश सरकार ने बालू-मौरंग के विकल्प के रूप में इस्तेमाल हो रही कृत्रिम बालू (एम-सैंड) को भी उपखनिज में शामिल कर लिया है। कृत्रिम बालू बड़े-बड़े पत्थरों को पीसकर बनाई जाती है। साथ ही कृषि भूमि पर बरसात के कारण जमा हुई बालू, मौरंग, बजरी व बोल्डर को हटाने के लिए दोगुनी रायल्टी पर तीन माह की अवधि का खनन पट्टा मिलता है। सरकार ने इसके नियमों में भी संशोधन कर उसे और सरल बनाया है। योगी कैबिनेट ने गुरुवार को कैबिनेट बाई सर्कुलेशन के जरिये उत्तर प्रदेश उपखनिज (परिहार) नियमावली-1963 को खत्म कर उसके स्थान पर नई उत्तर प्रदेश उपखनिज (परिहार) नियमावली-2021 को हरी झंडी दे दी है।
सरकार ने पुरानी नियमावली को इसलिए खत्म किया, क्योंकि उसमें अब तक 53 संशोधन हो चुके हैं। ऐसे में न्यायालय, मंडल एवं जनपद स्तर पर उसे लागू करवाने में परेशानी हो रही थी। नई नियमावली में सरकार ने जो व्यवस्था की है उसके अनुसार यदि खनन पट्टा या टेंडर समाप्त होता है या पट्टाधारक किन्हीं कारणों से वापस करता है तो नए पट्टाधारक को खनन योजना एवं पर्यावरणीय अनापत्ति ट्रांसफर कर दी जाएगी। पुरानी नियमावली में अब तक हुए 53 संशोधनों को एक साथ करते हुए एवं उसमें से अप्रासंगिक नियमों को विलोपित करते हुए नई नियमावली बनाई गई है। नई नियमावली में कृत्रिम बालू को उपखनिज की श्रेणी में लाने से अब सरकार इस पर भी रायल्टी लगा सकेगी।
काशी विश्वनाथ मंदिर परियोजना के लिए 55 करोड़ मंजूर : वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर विस्तारीकरण और सुंदरीकरण परियोजना के तहत गंगा नदी के पास घाट और रैंप का निर्माण कराया जा रहा है। एस्टीमेट को रिवाइज करते हुए कुछ और धनराशि स्वीकृति के लिए प्रस्ताव कैबिनेट को भेजा गया, जिसे गुरुवार को स्वीकृति दे दी गई। इन कार्यों के लिए 55 करोड़ रुपये के प्रस्ताव मंजूर किए गए हैं।