यूपी के 52 जिलों में लहलहाएगी औषधीय फसल, राष्ट्रीय आयुष मिशन की पहल

संयुक्त निदेशक उद्यान डा.वीबी द्विवेदी ने बताया कि उद्यान विभाग की ओर से बाजार में मांग के अनुरूप किसानों से औषधीय खेती कराई जाएगी। सर्पगंधा अश्वगंधा ब्राह्मी कालमेघ कौंच सतावरी तुलसी एलोवेरा वच व आर्टीमीशिया की खेती के लिए किसानों को जागरूक किया जाएगा।

By Rafiya NazEdited By: Publish:Sun, 11 Apr 2021 12:54 PM (IST) Updated:Mon, 12 Apr 2021 08:08 AM (IST)
यूपी के 52 जिलों में लहलहाएगी औषधीय फसल, राष्ट्रीय आयुष मिशन की पहल
उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय आयुष मिशन की पहल पर किसानों को होगा फायदा।

लखनऊ [जितेंद्र उपाध्याय]। गेहूं, धान, उर्द, मूंग व अरहर जैसी परंपरागत फसल से लहलहाने वाले खेतों में अब औषधीय फसल भी लहलहाएगी। इसकी तैयारियां पूरी हो गई हैं। औषधीय खेती से किसानों को जोडऩे के लिए राष्ट्रीय आयुष मिशन की ओर से अनुदान की भी व्यवस्था की गई है। लखनऊ समेत प्रदेश के 52 जिलों में खेती को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखा गया है। उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग को इसकी जिम्मेदारी दी गई है।

इनकी खेती करेंगे किसान: संयुक्त निदेशक उद्यान डा.वीबी द्विवेदी ने बताया कि उद्यान विभाग की ओर से बाजार में मांग के अनुरूप किसानों से औषधीय खेती कराई जाएगी। सर्पगंधा, अश्वगंधा, ब्राह्मी, कालमेघ, कौंच, सतावरी, तुलसी, एलोवेरा, वच व आर्टीमीशिया की खेती के लिए किसानों को जागरूक किया जाएगा।

कम लागत,अधिक फायदा: औषधीय खेती करने से किसानों को कम लागत में अधिक फायदा होगा। उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग के आयुष प्रभारी बाली शरण चौधरी की ओर से खेती की कुल लागत का 30 से 50 फीसद अनुदान देने की व्यवस्था है। 18 से 20 महीने की खेती में किसान प्रति हेक्टेयर 25 हजार से लेकर डेढ़ लाख तक की अतिरिक्त आमदनी कर सकते हैं।

खेती के लिए ऐसे करें आवेदन: योजना का लाभ लेने के लिए किसान जिला उद्यान अधिकारी कार्यालय या जिला विज्ञान केंद्र से संपर्क कर सकते हैं। आवेदन से पहले किसानों को यूपीएग्रीकल्चर.कॉम पर अपना पंजीयन करना होगा।

निदेशक उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण डा.आरके तोमर ने बताया कि आयुर्वेद के विकास के साथ ही औषधीय खेती का विकास भी होना चाहिए। इसके लिए राष्ट्रीय आयुष मिशन की ओर से किसानों को औषधीय खेती से जुडऩे के लिए अनुदान की व्यवस्था भी की गई है। राजधानी समेत प्रदेश के 52 जिलों में औषधीय खेती के विस्तार की पहल शुरू हो गई है।

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