CM योगी आदित्यनाथ को बदनाम करने की साजिश रचने वाले का 25 दिन बाद भी सुराग नहीं
लखनऊ बड़े न्यूज चैनल का फर्जी स्क्रीन शॉट लेकर सीएम का जारी किया था गलत बयान। अक्टूबर को हजरतगंज कोतवाली में एफआइआर दर्ज कराई गई थी। पीएफआइ समेत अन्य संगठनों की भूमिका की भी पड़ताल की भी बात कही गई थी।
लखनऊ, जेएनएन। एक बड़े राष्ट्रीय न्यूज चैनल के स्क्रीन शॉट में छेड़खानी कर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का फर्जी बयान जारी करने वाले मुन्ना यादव नामक व्यक्ति का पुलिस और साइबर क्राइम सेल 25 दिन बाद भी पता नहीं लगा सकी है। पीएफआइ समेत अन्य संगठनों की भूमिका की भी पड़ताल की भी बात कही गई थी। इस संबंध में अक्टूबर को हजरतगंज कोतवाली में एफआइआर दर्ज कराई गई थी।
गौरतलब है कि हाथरस दुष्कर्म व हत्या के मामले में सोशल मीडिया पर एक न्यूज चैनल के फर्जी स्क्रीन शॉट में ब्रेकिंग न्यूज लिखकर मुख्यमंत्री की फोटो के साथ बकायदा उनका फर्जी बयान जारी किया गया था, जिसमें एक जाति विशेष को लेकर टिप्पणी थी। ये स्क्रीन शॉट वाट्सएप समेत अन्य सोशल मीडिया के अकाउंट पर तेजी से वायरल किया गया। जिसपर नरही चौकी प्रभारी भूपेंद्र सिंह की नजर गई तो उन्होंने अपने अफसरों को सूचना दी। डीसीपी मध्य सोमेन वर्मा ने बताया कि चौकी प्रभारी नरही भूपेंद्र सिंह की तहरीर पर हजरतगंज कोतवाली में इस संबंध में एफआइआर दर्जकर आरोपितों की तलाश की जा रही है। इसके लिए पुलिस और साइबर क्राइम सेल की टीमों को लगाया गया है। स्क्रीन शॉट की खबर को सबंधित चैनल के बेवसाइट पर चेक किया गया, इसका न्यूज चैनल ने भी खंडन किया। पुलिस जांच में भी यह पाया गया कि संबंधित स्क्रीन शॉट वाला मैसेज सिर्फ मुख्यमंत्री की छवि धूमिल करने के इरादे से किया गया था, जो पुलिस जांच में भी फर्जी पाया गया।
इस स्क्रिन शॉट में जातिगत टिप्पणी के साथ बड़े न्यूज चैनल का लोगों भी लगा था, जिसकी संबंधित न्यूज चैनल से पुष्टि की गई तो वह फर्जी निकला। मुन्ना यादव के खिलाफ अफवाह फैलाने, धोखाधड़ी, कूट रचना, सूचना प्रौद्योगिकी संसोधन अधिनियम, कॉपीराइट अधिनियम, सीएम की तस्वीर का गलत प्रयोग करने के साथ-साथ आईटी एक्ट और कॉपीराइट एक्ट के तहत केस दर्ज है।