New Strain of Coronavirus in Lucknow: RTPCR से भी हो सकती है जांच, देश में अब तक 100 से अधिक मामले

New strain of coronavirus in Lucknow लखनऊ के एसजीपीजीआइ में माइक्रोबायोलॉजी की विभागाध्यक्ष डॉ उज्ज्वला घोषाल कहती हैं कि यह आरएनए वायरस है जो म्यूटेशन के कारण अपना रूप बदलता रहता है। इनमें से यूके स्ट्रेन प्रमुख है।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Thu, 21 Jan 2021 11:53 AM (IST) Updated:Thu, 21 Jan 2021 11:53 AM (IST)
New Strain of Coronavirus in Lucknow: RTPCR से भी हो सकती है जांच, देश में अब तक 100 से अधिक मामले
एसजीपीजीआइ ने लंदन से लौटे 14 मरीजों में आरटीपीसीआर से की नए स्ट्रेन की जांच।

लखनऊ, [धर्मेंद्र मिश्रा]। न्यू सॉर्स कोविड-2 स्ट्रेन (यूके स्ट्रेन-2020/12) की जांच (स्क्रीनिंग) रियल टाइम रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पॉलीमरेज चेन रिएक्शन (आरटीपीसीआर) मशीन के जरिए भी संभव है। विशेषज्ञों के अनुसार न्यू कोरोना स्ट्रेन सिर्फ उन्हीं में होने की आशंका है जो लंदन से इसके वैरिएंट सामने आने के बाद से लौटे हैं या किसी न्यू स्ट्रेन वाले मरीज के सीधे संपर्क में आए हैं। ऐसे मरीजों की यदि आरटीपीसीआर जांच निगेटिव होती है तो इसका मतलब है कि उसमें पुराना या नया कोई भी कोरोना वायरस नहीं है। यदि आरटीपीसीआर पॉजिटिव है तो इसका मतलब है कि उसमें न्यू स्ट्रेन भी हो सकता है। इसलिए कन्फर्मेशन के लिए उसकी सिक्वेंङ्क्षसग कराई जाती है। एसजीपीजीआइ में लंदन से लौटे 14 मरीजों की आरटीपीसीआर से जांच की गई, लेकिन सभी नमूने निगेटिव पाए गए। 

विशेषज्ञों के अनुसार कोरोना वायरस यानी सॉर्स कोविड-2 जीनोम (एस-जीनोम/एस- जीन) में कुछ परिवर्तन है तो वह प्राथमिक तौर पर आरटीपीसीआर से ही पकड़ में आ जाता है। इसलिए प्राथमिक जांच के बाद न्यू स्ट्रेन की मौजूदगी की आशंका होने पर ऐसे नमूनों को सिक्वेंसि‍ंग लैब भेजा जाता है। एसजीपीजीआइ में माइक्रोबायोलॉजी की विभागाध्यक्ष डॉ उज्ज्वला घोषाल कहती हैं कि यह आरएनए वायरस है, जो म्यूटेशन के कारण अपना रूप बदलता रहता है। इनमें से यूके स्ट्रेन प्रमुख है। यूनाइटेड ङ्क्षकगडम में दिसंबर 2020 में न्यू सॉर्स कोविड-2 का पहला वैरियंट सामने आया। बाद में यही लंदन में 60 फीसद संक्रमण की वजह बना। इसीलिए इस नए वैरिएंट को यूके स्ट्रेन भी कहा गया। यह स्पाइक प्रोटीन वायरस है, जो अत्यधिक संक्रामक होता है। भारत में भी अब तक इसके 100 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं। 

आरटीपीसीआर से ऐसे पकड़ में आता है न्यू स्ट्रेन

आरटीपीसीआर से जांच करते समय सॉर्स कोविड-2 जीन (एस-जीन), आरएनए डिपेंडेंट आरएनए पोलिमरेज (आरडीआरपी), ओपेन रीङ्क्षडग फ्रेम (ओआरएफ) जैसे कई टारगेट को लेकर चला जाता है। न्यू स्ट्रेन के संभावित मरीज की आरटीपीसीआर जांच यदि निगेटिव आ गई तो फिर उसमें कोई भी वायरस नहीं है। यदि आरटीपीसीआर पॉजिटिव है तो उसमें यूके स्ट्रेन की मौजूदगी होने पर एस-जीन में थोड़ा सा परिवर्तन आता है। तब इसको कंफर्मेशन के लिए सिक्वेंङ्क्षसग लैब भेजना जरूरी होता है। अभी तक न्यू स्ट्रेन की जांच पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में की जा रही थी। अब केजीएमयू में नया केंद्र बनाया गया है। 

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