बैंक ऑफ बड़ौदा: न दस करोड़ मिले न गबन करने वाले, तीस दिन बाद भी जांच अधूरी
स्मारक संग्राहलयों के दस करोड़ बैंक ऑफ बडौदा से गायब हुए महीनों हो गए हैं। 17 सितंबर को स्मारक के अफसरों ने एफआइआर भी दर्ज करा दी। एक माह की जांच में न दस करोड़ रुपये वापस आए और न गबन करने वाले आरोपी ही पकड़े जा सके।
लखनऊ, जागरण संवाददाता। स्मारक संग्राहलयों के दस करोड़ बैंक ऑफ बडौदा से गायब हुए महीनों हो गए हैं। 17 सितंबर को स्मारक के अफसरों ने एफआइआर भी दर्ज करा दी। एक माह की जांच में न दस करोड़ रुपये वापस आए और न गबन करने वाले आरोपी ही पकड़े जा सके। यही नहीं, मुख्य प्रबंधक द्वारा जरूर बैंक को चार से पांच पत्र भेजकर स्मारक के 5300 कर्मचारियों के सेंट्रल प्रोविडेंट फंड (सीपीएफ) का पैसा मांगा गया, लेकिन आश्वासन के अलावा 17 अक्टूबर 2021 तक कुछ नहीं मिला। सवाल खड़ा होता है आखिर कर्मचारियों के पैसे वापस कराने की जिम्मेदारी किसकी है, नियमानुसार बैंक को देना चाहिए, लेकिन बैंक ने अब तक कार्रवाई क्यों नहीं की और पैसा ब्याज सहित क्यों वापस नहीं किया, इसका जवाब स्मारक संग्राहलयों के जिम्मेदार अफसरों के पास भी नहीं है।
मार्च 2021 में 48 करोड़ की एफडी के लिए बैंक ऑफ बड़ौदा से कहा जाता है। पीएनबी बैंक से पैसा भी बैंक में स्थानांतरित हो जाता है। दो-दो करोड़ की 24 एफडी बननी थी, लेकिन 35 करोड़ रुपये अप्रैल में नोएडा स्थित कोटक महेंद्र में स्थानांतरित हो जाते हैं और 25 करोड़ तो वापस आ जाते हैं लेकिन बाकी रकम नहीं। इस रकम को पाने के लिए स्मारक संग्राहलयों के अफसर प्रयासरत हैं। इस मामले की जांच पहले गोमती नगर पुलिस कर रही थी, करीब बीस दिन से अधिक जांच भी की, लेकिन पैसा कहा से कहा गया, कुछ ऐसी जानकारी मिल सकी। उसके बाद गोमती नगर पुलिस के इंस्पेक्टर केशव तिवारी ने पूरा मामला आर्थिक अपराध शाखा को स्थानांतरित होने की बात कह दी। वहीं, जिम्मेदारों का तर्क है कि पैसा जल्द ही वापस आएगा, वहीं स्मारक के कर्मचारियों को संशय है कि अधिकारी अगर यही गंभीरता शुरू में दिखाते तो स्मारक के हजारों कर्मियों को यह दिन न देखने पड़ते।