Nawab Wajid Ali Shah Zoological Garden: सौवें साल में प्रवेश कर रहा लखनऊ प्राणि उद्यान, जान‍िए क्‍या-क्‍या हुए बदलाव

2001 में जुलोजिकल पार्क और फिर लखनऊ चिड़ियाघर के बाद 2015 में नाम बदलकर हुआ नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान। यह सूबे का सबसे पुराना चिड़ियाघर है। सरकार के अधीन होने के बावजूद इस पर सरकारी होने का तमगा नहीं लगा है।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Wed, 25 Nov 2020 07:07 AM (IST) Updated:Wed, 25 Nov 2020 07:15 AM (IST)
Nawab Wajid Ali Shah Zoological Garden: सौवें साल में प्रवेश कर रहा लखनऊ प्राणि उद्यान, जान‍िए क्‍या-क्‍या हुए बदलाव
नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान: देशी-विदेशी वन्यजीवों के साथ पूरा हुआ 99 साल का सफर।

लखनऊ, (जितेंद्र उपाध्याय)। मैं चिड़ियाघर हूं। तीन किलोमीटर की परिधि के अंदर पांच हजार पेड़ों की छांव के बीच समय के साथ मैंने खुद को बदलते देखा है। इक्का से लेकर मेट्रो शहर की हर दास्तां मेरे जेहन में हिचकोले मार रहा है। नरही गेट की ओर इक्को की कतार देखकर मैं खुश होता था तो अब लेकर वाहनों की कतारों को देख मैं इठालाता रहता हूं। अंग्रजों की गुलामी के दिनों में 29 नवंबर 1921 को प्रिंस वॉल्स के आगमन के स्वागत में तत्कालीन अंग्रेज गवर्नर सर हरकोर्ट बटलर ने मेरी स्थापना की थी।

देशी-विदेशी वन्यजीवों के साथ मेरा सफर शुरू हुआ और अब 99 साल पूरे कर 100 साल की ओर बढ़ चला हूं। मुझे पहले बनारसी बाग के नाम से जाना जाता था। शहर के बाहर बनारस से आए आम के पेड़ों की वजह से मेरा नाम बनारसी बाग पड़ गया। 18वीं शताब्दी में लखनऊ के नवाब नसीरुद्दीन हैदर ने बाग के रूप न केवल स्थापना की बल्कि बारादरी का निर्माण कर नवाबी कला के रंग को मेरे परिसर में समाहित कर दिया। फिरंगियों की सैरगाह के रुप में मैं प्रचलित हो गया और मेरा नाम भी बनारसी बाग से बदलकर प्रिंस वॉल्स जुलोजिकल गार्डन ट्रस्ट हो गया। 2001 में जुलोजिकल पार्क और फिर लखनऊ चिड़ियाघर के बाद 2015 में नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान के नाम से मैं प्रसिद्ध हो गया हूं। मैं सूबे का सबसे पुराना चिड़ियाघर हूं। सरकार के अधीन होने के बावजूद मेरे ऊपर सरकारी होने का तमगा नहीं लग सका है।

मुझे देखने वाले दर्शकों के टिकट और समाजसेवियों के वन्यजीवों को गोद लेेने की दिलचस्पी के चलते मैं लगातार बढ़ रहा हूं। 1925 मेरे अंदर राजा बलरापुर ने बब्बर शेर के बाड़े का निर्माण कराया था। कभी मेरे अंदर रहने वाजे वन्यजीव लोहे के बने बाड़ों में रहते थे। 1935 में रानी राम कुमार भार्गव ने तोता लेन का निर्माण कराया और फिर भालू, टाइगर बाड़ों के साथ अब मेरे अंदर 100 बाड़े हैं जहां एक हजार से अधिक वन्यजीव अपनी जिंदगी जीने के साथ आने वाले दर्शकों का मानोरंजन करते हैं। 2006-8 में हाथी सुमित और जयमाला के जंगल जाने का दु:ख और दर्शकों के प्रिय हूक्कू बंदर के जाने का गम मैं भूल नहीं पा रहा हूं। कोरोना संक्रमण के चलते मैं भले ही ऑनलाइन हो गया और सभी के मोबाइल फोन तक पहुंच गया, लेकिन दर्शकों की चहलकदमी का मुझे इंजार रहा। अनलॉक के बाद दर्शकों की आमद से मैं फिर से दर्शकों से गुलजार होने लगा हूं।

स्थापना दिवस के तहत आज से शुरू होंगी प्रतियोगिताएं

प्राणि उद्यान के निदेशक आरके सिंह ने बताया कि निबंध प्रतियोगिता, फोटो ग्राफी प्रतियोगिता और स्लोगन लेखन प्रतियोगिता 25 से 27 नवंबर तक चलेगी। 29 को ऑनलाइन स्थापना दिवस मनाया जाएगा। लखनऊ चिड़ियाघर की वेबसाइट lucknowzoo पर जानकारी उपलब्ध है। 

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