नेशनल ब्लाइंड एसोसिएशन अंधेरी जिंदगी में भर रहा ज्ञान का उजाला, नेत्रहीनों का बदल रहा भविष्य

सुलतानपुर की मूल निवासी श्वेता बचपन से ही देख नहीं पाती है। किसान पिता रामयज्ञ वर्मा ने अपनी हैसियत के अनुरूप इलाज कराया पर रोशनी नहीं आई। इंदिरानगर के लेखराज में स्थापित नेशनल एसोसिएशन फार द ब्लाइंड की अध्यक्ष शशि से श्वेता की मुलाकात ने उनकी जिंदगी बदल दी।

By Dharmendra MishraEdited By: Publish:Mon, 06 Dec 2021 09:27 AM (IST) Updated:Mon, 06 Dec 2021 06:03 PM (IST)
नेशनल ब्लाइंड एसोसिएशन अंधेरी जिंदगी में भर रहा ज्ञान का उजाला, नेत्रहीनों का बदल रहा भविष्य
नेशनल ब्लाइंड एसोसिएशन से नेत्रहीनों की जिंदगी में भर रहा उजाला।

लखनऊ, [जितेंद्र उपाध्याय] । सुलतानपुर की मूल निवासी श्वेता बचपन से ही देख नहीं पाती है। किसान पिता रामयज्ञ वर्मा ने अपनी हैसियत के अनुरूप इलाज कराने का प्रयास किया लेकिन, श्वेता के आंखों की रोशनी नहीं आई। इंदिरानगर के लेखराज में स्थापित नेशनल एसोसिएशन फार द ब्लाइंड की अध्यक्ष शशि से श्वेता की मुलाकात क्या हुई, श्वेता के जीवन में ज्ञान का उजाला गया।

उनकी मदद से उन्होंने न केवल बेसिक पढ़ाई की बल्कि कंप्यूटर समेत कई तकनीकी शिक्षा लेकर खुद को दिखाने अलग दिखाने का प्रयास किया। अब वह दिल्ली में स्तन कैंसर को लेकर जागरूकता के साथ ही उसका प्रशिक्षण ले रही हैं। श्वेता कहती हैं कि दिव्यांगता कोई अभिशाप नहीं है, बस मन से इसे निकालने की जरूरत होती है। एसोसिएशन के दिल्ली कार्यालय के माध्यम से उन्हेें अस्पताल में नौकरी दिलाने का प्रयास किया जा रहा है। अकेली श्वेता ही नहीं गोमतीनगर के 29 वर्षीय आशीष दुबे का भी यही हाल था। दिव्यांग होने के बावजूद वह बादशाहनगर में रेलवे अस्पताल में मरीजों की सेवा करते हैं। लखनऊ के जिलाधिकारी कार्यालय में रिसेप्शन में काम करने वाले दृष्टि बाधित प्रतीक यूपी के ब्लाइंड क्रिकेट टीम के खिलाड़ी भी है।

तीन दशक में कई दिव्यांगों को मिला सहाराः नेशनल एसोसिएशन फार द ब्लाइंड प्रदेश इकाई की महासचिव डा.शशि प्रभा गुप्ता ने बताया कि अध्यक्ष डा.रमा शंखधर और उपाध्यक्ष अमिता दुबे समेत सभी पदाधिकारियों के प्रयास से वर्तमान में 100 से अधिक दृष्टिबाधित कंप्यूटर के साथ ही अन्य तकनीकी ज्ञान ले रहे हैं। तीन दशक से अधिक समय से संस्था दृष्टि बाधित दिव्यांगों को समाज की मुख्य धारा में लाने का प्रयास कर रही है। 1989 से अब तक एक हजार से अधिक दृष्टिबाधितों की मदद व शिक्षा देकर उन्हें अपने पैरों पर खड़ा किया गया है।

उपाध्यक्ष अमिता दुबे ने बताया कि संस्थान का उद्देश्य ही यही है कि दृष्टि बाधित को जीवन में ज्ञान का उजाला आए। प्रयास निरंतर जारी है। सामाजिक संस्थान भी मदद करने में आगे आई हैं। सरकार का प्रयास भी सराहनीय रहा है।

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