Limca Book of Records में दर्ज हुआ बहराइच के डा. गुलशन का नाम, जान‍िए क्‍यों म‍िली यह उपलब्धि

गुलशन अब तक 57 वर्ल्‍ड रिकार्ड बना चुके हैं। लिम्का बुक के 2020-2022 संस्करण में वर्ष 1990 से 2020 तक भारतीय डाक से 655 नाम के 12634 हि‍ंदी अखबार मंगाकर संग्रह करने का है। इन पत्र-पत्रकाओं में विभिन्न राज्यों से प्रकाशित अखबारों के साथ कुछ विदेशी अखबार भी हैं।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Thu, 23 Sep 2021 05:11 PM (IST) Updated:Thu, 23 Sep 2021 05:11 PM (IST)
Limca Book of Records में दर्ज हुआ बहराइच के डा. गुलशन का नाम, जान‍िए क्‍यों म‍िली यह उपलब्धि
2020-2022 के संस्करण में दर्ज हुआ भारतीय डाक से 655 नाम के 12634 हि‍ंदी अखबार मंगाकर संग्रह करने का रिकार्ड।

बहराइच, जागरण संवाददाता। क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी व प्रतिष्ठित साहित्यकार डा. अशोक पांडेय 'गुलशन' का नाम लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड में दर्ज हो गया है। गुलशन अब तक 57 वर्ल्‍ड रिकार्ड बना चुके हैं। लिम्का बुक के 2020-2022 संस्करण में वर्ष 1990 से 2020 तक भारतीय डाक से 655 नाम के 12634 हि‍ंदी अखबार मंगाकर संग्रह करने का है। 

इन पत्र-पत्रकाओं में विभिन्न राज्यों से प्रकाशित अखबार तो हैं ही, कुछ विदेशी अखबार भी सम्मिलित हैं। गुलशन के नाम साहित्य के क्षेत्र में 56 वल्र्ड रिकार्ड पहले से दर्ज हैं, जिसमें सबसे छोटी गजल लेखन के 21, लंबी गजल के 10 रिकॉर्ड हैं। उनकी गजल को वर्ल्‍ड बुक ऑफ रिकाड् र्स लंदन में भी जगह मिली है।

बड़ी गजल को गोल्डेन स्टार वल्र्ड रिकार्ड, सुप्रीम वल्र्ड रिकाड् र्स एवं यूनिक वर्ल्‍ड रिकार्ड में दर्ज किया गया है। एक वर्ष में सबसे अधिक सम्मानपत्र पाने का रिकार्ड कोहिनूर वर्ल्‍ड बुक ऑफ रिकाड् र्स, इंटरनेशनल वंडर बुक ऑफ रिकाड् र्स तथा साहित्य के क्षेत्र में सबसे अधिक 367 सम्मान पाने का रिकार्ड इनफिनिटी बुक ऑफ वर्ल्‍ड रिकार्ड में दर्ज हुआ है। इसके साथ ही दुनिया के कई रिकार्ड बुकों में उन्हें स्थान मिला है।

अब तक 45 देशों से 932 सहित कुल 1453 सम्मान, पुरस्कार, उपाधियों एवं प्रशस्तिपत्रों से विभूषित डा. अशोक की 25 कृतियां प्रकाशित हैं। उन्हें साहित्यिक सेवाओं के नौ मानद डाक्टरेट, चार डीलिट् की उपाधि मिली है। वह विगत 45 वर्षों से साहित्य सृजन कर रहे हैं और उनके साहित्यिक योगदान पर लखनऊ विश्वविद्यालय की छात्रा ने एमफिल किया है। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय की पीएचडी के शोध ग्रंथ में उनकी छोटी बहर की गजल सम्मिलित की गई है। 

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