सर्दी में है खास हलवा सोहन का स्वाद, साल भर यहां शौकीन करते हैं इंतजार
रामआसरे के अलावा हलवा सोहन की चुनिंदा दुकानें चौक चौराहे पर राधे लाल, रकाबगंज में बाबूलाल, चौक की फूल वाली गली में हाजी अब्दुल गफूर आदि की दुकानें बरसों पुरानी हैं।
लखनऊ, कुसुम भारती। जायकों के मामले में लखनऊ लाजवाब है, इसमें कोई दो राय नहीं। तभी तो, न केवल देश, बल्कि विदेश से भी लोग लखनवी व्यंजनों का स्वाद लेने खिंचे चले आते हैं। ऑस्ट्रेलिया से लखनऊ घूमने आए एफी और असमाया चौक स्थित बान वाली गली में रामआसरे की दुकान पर मिठाइयों का स्वाद लेते दिखाई दिए। उन्होंने बताया, 'पहली बार लखनऊ घूमने आए हैं, इंटरनेट पर रामआसरे की दुकान और इनकी स्पेशल मिठाइयों के बारे में पढ़ा, तो खुद को यहां आने से रोक नहीं पाए।'
चौक की इतनी सारी गलियों में इस दुकान को कैसे ढूंढा, पूछने पर बताते हैं, 'अब तो गूगल ने सबकुछ आसान कर दिया है, उसी पर ढूंढते हुए पहुंच गए।' वहीं, सोहन हलवा की फोटो लेने के लिए जब विक्रेता बबलू से ट्रे निकालने को कहा, तो दोनों विदेशी हलवा सोहन देखकर पूछते हैं, 'यह कौन सी स्वीट है' उनको बताया गया कि इसे सोहन हलवा कहते हैं। यह खासतौर से सर्दी की मिठाई है, जो शुद्ध देशी घी में बनाई जाती है।
खासियत और स्वाद के क्या कहने, मुंह में रखते ही घुल जाता है, सेहत के लिए भी मुफीद है। हलवा सोहन की इतनी तारीफ सुनकर दोनों बड़े खुश हुए और लखनवी मेहमाननवाजी की मिसाल पेश करते हुए उन्हें हलवा सोहन खाने को दिया गया। । स्वाद चखते ही दोनों के मुंह से निकला ‘सो डिलीशियस एंड यम्मी’। सर्दियों में खासतौर से बनने वाले स्वादिष्ट सोहन हलवे का स्वाद तो सभी ने चखा होगा। इसकी खासियत और इतिहास पर एक नजर...
नवाबों ने ईजाद किया था हलवा सोहन
पहले लोग अपने भोजन में देशी घी का इस्तेमाल खूब करते थे, क्योंकि यह शरीर को ऊर्जा देता है। मगर, मोटापे के डर से अब ज्यादातर लोगों ने वसायुक्त व्यंजनों को खाना कम कर दिया है। रॉयल फैमिली से ताल्लुक रखने वाले शीशमहल के शेफ डॉ. इज्जत हुसैन कहते हैं, हलवा सोहन शुद्ध देशी घी में बनता है। इसका ईजाद नवाबी दौर में हुआ था। वे घुड़सवारी, तलवारबाजी जैसे शौक रखते थे। ऐसी लाइफ स्टाइल के चलते ही उनको सेहतमंद चीजें खिलाई जाती थीं। सर्दियों में देशी घी शरीर को ऊर्जा देता है, इसलिए सोहन हलवा बनाने में इसका खूब इस्तेमाल होता है। उस दौर से अब तक यह एक राजसी व्यंजन के तौर पर खाया जाता है।
एक दिन पहले होती है तैयारी
हलवा सोहन खाने में जितना स्वादिष्ट होता है, बनाने में उतनी ही मेहनत लगती है। मगर, बनाते वक्त इसकी सोंधी महक हर किसी को दीवाना बना देती है। इसको बनाने के लिए एक दिन पहले से तैयारी की जाती है। चौक स्थित रामआसरे प्रतिष्ठान के प्रोपराइटर सुमन बिहारी बताते हैं, हलवा सोहन बनाने के लिए देशी घी, अंकुरित गेहूं के आटे और चीनी का इस्तेमाल किया जाता है। आटा, घी और चीनी को अच्छी तरह फेंटकर एक दिन छोड़ दिया जाता है। दूसरे दिन भट्टी पर कड़ाही में घी डालकर इस मिश्रण को करीब डेढ़-दो घंटे भूरा होने तक भूनते हैं। फिर मिश्रण को सांचों में डाला जाता है। इसमें पहले से काजू, बादाम और पिस्ता की परत बिछी होती है। आधे-पौने घंटे ठंडा करने के बाद इसे खाया जा सकता है।
साल भर करते हैं इंतजार
मिठाई खरीदने आईं, चौक निवासी 80 वर्षीय बुजुर्ग प्रेम कहती हैं, देशी घी का सेवन सर्दियों में बेहद फायदेमंद होता है इसलिए लोग इस मौसम में हलवा सोहन जरूर खाते हैं। यह न केवल जुबान को स्वाद देता है, बल्कि ऊर्जावान भी बनाता है। मैं तो हलवा सोहन खाने के लिए जाड़े का इंतजार करती हूं।