लखनऊ में इस बकरे के हाथ होगी AMC परेड की कमान, जवानों के साथ करेगा कदमताल

सेना मेडिकल कोर अपना स्थापना दिवस 30 मार्च को मनाएगी इस दौरान मारवाड़ी नस्ल का बकरा मुन्ना हवलदार परेड की कमान संभालेगा। सेना इसे लाकर पालती और उसे ट्रेनिंग देती है। इनकी तैनाती हवलदार के रूप में होती है।

By Divyansh RastogiEdited By: Publish:Sat, 27 Mar 2021 08:30 AM (IST) Updated:Sun, 28 Mar 2021 01:03 AM (IST)
लखनऊ में इस बकरे के हाथ होगी AMC परेड की कमान, जवानों के साथ करेगा कदमताल
वेतन तय नहीं किया गया है लेकिन सभी सामाजिक सुरक्षा सेना ही देती है।

लखनऊ, जेएनएन। इस बार जब 30 मार्च को सेना मेडिकल कोर (एएमसी) अपना स्थापना दिवस मनाएगी, तब फिर से हवलदार मुन्ना सभी को आकर्षित करेगा। सैन्य अफसरों और जवानों के साथ कदमताल करने वाला यह हवलदार मुन्ना एक मारवाड़ी बकरा है। हवलदार मुन्ना को सेना में जूनियर कमीशंड आफिसर माना जाता है। 

सेना मेडिकल कोर की नींव एक जनवरी 1764 को बंगाल मेडिकल सर्विस के नाम से पड़ी थी। सन 1767 में मद्रास मेडिकल सर्विस व 1779 में बाम्बे मेडिकल सर्विस की स्थापना हुई। ब्रिटिश सेना की तीनों प्रेसीडेंसी का विलय कर तीन अप्रैल 1886 को इंडियन मेडिकल सर्विस का गठन किया गया। वर्ष 2016 तक हर साल एक जनवरी को आर्मी मेडिकल कोर की स्थापना दिवस मनाती थी। वर्ष 2017 से इसे तीन अप्रैल को मनाया जाने लगा। इस स्थापना दिवस के अवसर पर हर साल हवलदार मुन्ना सेरेमोनियल परेड में हिस्सा लेता है। इस साल 30 मार्च को सेना मेडिकल कोर की 257वीं वर्षगांठ पर भी हवलदार मुन्ना परेड में शामिल होगा। 

12 साल की होती है सेवा : हवलदार मुन्ना एक मारवाड़ी नस्ल का बकरा है। जिसे करीब 70 साल पहले 16 अप्रैल 1951 को ग्वालियर के महाराजा ने सेना को दिया था। महाराजा जीवाजीराव सिंधिया की सेना का बाद में भारतीय सेना में विलय हो गया था। विलय के दौरान महाराजा के बैंड को भी सेना मेडिकल कोर में मिला दिया। मारवाड़ी काले रंग का यह बकरा राजस्थान के बाड़मेर में पाया जाता है। एक बकरे की उम्र 12 साल होती है। लिहाजा सेना बाड़मेर से दूसरा बकरा लाकर उसे पालती और उसे ट्रेनिंग देती है। इनकी तैनाती हवलदार के रूप में होती है और इसी रैंक पर उनकी सेवा समाप्त होती है। हालांकि, सेना की ओर से इसका वेतन तय नहीं किया गया है लेकिन सभी सामाजिक सुरक्षा सेना ही देती है। 

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