रासायनिक कीटनाशक के आदी हो गए हैं मच्छर, डेंगू से बचना है तो करें जैविक कीटनाशक का प्रयोग

बख्शी का तालाब के चंद्रभानु गुप्ता कृषि स्नातकोत्तर महाविद्वालय के एसोसिएट प्रोफेसर डा.सत्येंद्र कुमार सिंह का दावा है कि लगातार मच्छरों को मारने में प्रयोग होने वाले रासायनिक कीटनाशक मच्छरों पर कम असर कर रहे हैं। उनकी संख्या घटने के बजाय बढ़ रही है।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Sun, 24 Oct 2021 11:39 AM (IST) Updated:Sun, 24 Oct 2021 11:39 AM (IST)
रासायनिक कीटनाशक के आदी हो गए हैं मच्छर, डेंगू से बचना है तो करें जैविक कीटनाशक का प्रयोग
जैविक कीटनाशक का शरीर पर नहीं पड़ता कोई असर।

लखनऊ, [जितेंद्र उपाध्याय]। बारिश के बाद मच्छर जनित बीमारियों का प्रकाेप आम आदमी के लिए जान लेवा साबित हो रहा है। डेंगू से प्रभावित लोगों की प्लेटलेट्स गिरने लगती है जिससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। बख्शी का तालाब के चंद्रभानु गुप्ता कृषि स्नातकोत्तर महाविद्वालय के एसोसिएट प्रोफेसर डा.सत्येंद्र कुमार सिंह का दावा है कि लगातार मच्छरों को मारने में प्रयोग होने वाले रासायनिक कीटनाशक मच्छरों पर कम असर कर रहे हैं। उनकी संख्या घटने के बजाय बढ़ रही है। ऐसे में जैविक कीटनाशक मच्छरों पर काबू पाने में असरदार हो सकते हैं।

उन्होंने बताया कि जैविक कीटनाशक सिलस थूरिजनेसिस इजरायलीनंसिस एच-14 (वैक्टोवैक 12 एएस) के छिड़काव से काफी समय तक प्रभावी रहता है। इसकी एक लीटर मात्रा को 100 लीटर पानी के साथ घोल बनाकर यदि छिड़क कर दिया जाए तो मच्छरों की संख्या निरंतर कम हो जाती है । अधिकतर मच्छरों में मादा मच्छर खून चूसती है, क्योंकि इसके मुखांग में पाया जाने वाला मैन्डिबल पूर्ण विकसित होता है जिस वजह से यह रक्त को तेजी से चुसने का काम करती हैं। इन मादावों की संख्या को कम करने के लिए जैविक उत्पाद अधिक प्रभावशाली है, क्योंकि मादाएं जहां पर नमी अधिक होती है वहां पर ही पाई जाती हैं और क्योंकि इनका यह स्वभाव होता है यह अपनी प्रोजेनी को सुरक्षित करने के लिए नमी वाले स्थानों पर ही अंडे देती हैं और वही से इनके लार्वा तेजी से पनपते हैं।

इसीलिए मच्छरों को प्रबंधित करने के लिए सबसे पहले नमी वाले स्थानों पर जैविक कीटनाशकों का छिड़काव लाभप्रद होता है। छिड़काव करते समय यह अवश्य सुनिश्चित करे की कोई भी स्थान जैसे आयरन बॉक्स, प्लास्टिक स्क्रैप, अप्रयुक्त टायर, वृक्षों के खोखले होल, सीमेंट टैंक, धान के खेत, आर्नामेंटल फाउंटेन, घरों के कूलर, चिड़ियों को रखे जाने वाले पानी के बर्तन तथा पशुओं को चारा खिलाने वाले बर्तन सभी में छिड़काव करना चाहिए। यह रसायन किसी भी प्रकार का रासायनिक प्रभाव नहीं छोड़ते खाने वाली सामग्री को दूषित नहीं करते वातावरण को प्रदूषित नहीं करते साथ में मनुष्य में किसी भी प्रकार की बीमारी को फैलाने का काम नहीं करते इसलिए यह बहुत लाभकारी होते हैं और काफी समय तक इनका प्रभाव मच्छरों को मारने के लिए रहता है।

जैविक उत्पाद का समय से प्रयोग कर मच्छरों से होने वाली बीमारियों से बचा जा सकता है । यह उत्पाद एक बार प्रयोग कर देने से कई महीने तक प्रभावी रहते हैं इनके ऊपर वातावरण में होने वाले परिवर्तनों का बहुत ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ता । जहरीले रासायनिक कीटनाशक का प्रयोग पब्लिक हेल्थ प्रोग्राम में किया जाता है। प्रमुख रूप से यह रसायन मच्छरों में प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर रहे हैं जिससे डेंगू जैसी गंभीर बीमारी निरंतर बढ़ती चली जाती है। ऐसे में इन्हेें प्रबंधित करने के लिए जैविक उत्पादों का प्रयोग करना चाहिए।

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