लखनऊ में महिला संबंधी अपराधों का निस्तारण बड़ी चुनौती, दुष्कर्म; छेड़छाड़ और पाक्सो के दो सौ से अधिक मामले हैं लंबित
राजधानी में साइबर अपराध के साथ साथ महिला अपराध के मामलों में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। आंकड़ों के मुताबिक इस साल जुलाई माह तक दो सौ से अधिक मामले लंबित हैं। इनमें दुष्कर्म छेड़छाड़ व पाक्सो जैसे गंभीर प्रकरण हैं।
लखनऊ, [ज्ञान बिहारी मिश्र]। राजधानी में साइबर अपराध के साथ साथ महिला अपराध के मामलों में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। आंकड़ों के मुताबिक इस साल जुलाई माह तक दो सौ से अधिक मामले लंबित हैं। इनमें दुष्कर्म, छेड़छाड़ व पाक्सो जैसे गंभीर प्रकरण हैं। महिला अपराध एवं सुरक्षा शाखा इन मामलों के निस्तारण के लिए मानीटरिंग कर रही है। हाल में ही हाइकोर्ट ने डीजीपी को सूबे में महिला अपराध से संबंधित मामलों को दो माह में निस्तारित करने का आदेश दिया है। इसको देखते हुए राजधानी पुलिस ने लंबित विवेचनाओं के निस्तारण में तेजी शुरू की है। आंकड़ों के मुताबिक हर तरह के अपराध की कुल विवेचनाओं का 85 फीसद मामले निस्तारित किए जा चुके हैं।
फिलहाल, महिला अपराध के मामलों की विवेचना पुलिस के लिए चुनौती है। एक जनवरी 2021 से 31 जुलाई तक दुष्कर्म के 139 मामले प्रकाश में आए थे। इनमें 84 का निस्तारण किया गया। हालांकि अभी भी 52 शेष हैं। वहीं, पाक्सो के 146 में 35, नाबालिग को बहला फुसलाकर भगा ले जाने के 72 और छेड़छाड़ के 116 मामले निस्तारित अभी होने हैं। खास बात ये है कि थानों में बने 40 महिला हेल्प डेस्क पर 7583 प्रार्थना पत्र आए। इनमें 6105 का पुलिस ने निस्तारण कर लिया। उधर, राष्ट्रीय महिला आयोग की ओर से 56 शिकायती पत्र मिले, जिनमें छह का निस्तारण बाकि है। वहीं, राज्य महिला आयोग की ओर से आए 1600 शिकायतों में 1531 का निस्तारण हो चुका है। यही नहीं, प्रोजेक्ट कुटुंब के तहत आए 148 मामलों में 34 में समझौता, चार में एफआइआर, 61 का पूर्ण रुप से निस्तारण और 25 अभी शेष हैं।
महिलाओं के लिए सुविधा
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