उत्तर प्रदेश में बिजली कनेक्शन लेकर बिल देना भूले 1.09 करोड़ उपभोक्ता, अब होगी वसूली

यूपी के एक तिहाई से ज्यादा ऐसे विद्युत उपभोक्ता हैं जो बिजली का इस्तेमाल तो कर रहे हैं लेकिन बिल कभी नहीं दिया। इनमें से ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्र के हैं। नौ लाख से अधिक उपभोक्ताओं का बकाया तो अब एक लाख रुपये से भी ऊपर पहुंच चुका है।

By Umesh TiwariEdited By: Publish:Sun, 25 Oct 2020 07:00 AM (IST) Updated:Sun, 25 Oct 2020 08:21 AM (IST)
उत्तर प्रदेश में बिजली कनेक्शन लेकर बिल देना भूले 1.09 करोड़ उपभोक्ता, अब होगी वसूली
यूपी के एक तिहाई से ज्यादा ऐसे उपभोक्ता हैं, जिन्होंने बिजली का बिल कभी नहीं दिया।

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। उत्तर प्रदेश के एक तिहाई से भी ज्यादा ऐसे विद्युत उपभोक्ता हैं, जो बिजली का इस्तेमाल तो कर रहे हैं, लेकिन बिल अभी तक कभी नहीं दिया। इनमें से ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्र के हैं। नौ लाख से अधिक उपभोक्ताओं का बकाया तो अब एक लाख रुपये से भी ऊपर पहुंच चुका है। पावर कारपोरेशन प्रबंधन ने अभियान चलाकर ऐसे उपभोक्ताओं से बकाया वसूलने के निर्देश दिए हैं।

उत्तर प्रदेश में बिजली के 2.83 करोड़ कनेक्शनों में से 38.5 फीसद यानी 1.09 करोड़ कनेक्शन ऐसे हैं, जिनसे बिजली कंपनियों को एक भी पैसे का बिल नहीं मिला है। पूर्वांचल डिस्कॉम के सर्वाधिक 43 लाख विद्युत उपभोक्ताओं ने कनेक्शन मिलने के बाद से अब तक बिल नहीं जमा किया है। इसी तरह से मध्यांचल के 33.45 लाख, दक्षिणांचल के 22 लाख और पश्चिमांचल के 10.94 लाख कनेक्शन से डिस्काम को बिल्कुल राजस्व नहीं मिल रहा है। गौर करने की बात यह है कि बिल न देने वाले कुल उपभोक्ताओं में 1.05 करोड़ ग्रामीण क्षेत्र के हैं। 9.42 लाख उपभोक्ताओं का बकाया एक लाख रुपये से भी ऊपर पहुंच चुका है।

उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष अरविन्द कुमार का कहना है कि सभी डिस्कॉम के प्रबंध निदेशकों को अभियान चलाकर राजस्व वसूली के निर्देश दिए गए हैं। कुमार ने बताया कि अभियान के दौरान बिजली का बिल सही न पाए जाने पर उसे ठीक किया जाएगा ताकि किसी का उत्पीड़न न होने पाए। अध्यक्ष का कहना है कि बिजली आपूर्ति के एवज में राजस्व वसूली न होने पर बिजली खरीदने में स्वाभाविक तौर पर दिक्कत आएगी। ऐसे में 24 घंटे बिजली आपूर्ति तब ही संभव है, जब सभी उपभोक्ता, उपभोग की गई बिजली का बिल समय से जमा करते रहें।

उल्लेखनीय है कि बिजली चोरी और बिल की वसूली न होने से पावर कारपोरेशन का वित्तीय संकट बढ़ता जा रहा है। यही कारण है कि प्रबंधन, विद्युत वितरण को निजी हाथों में देना चाहता है। हालांकि, निजीकरण को टालने के लिए बिजलीकर्मियों द्वारा राजस्व वसूली सहित अन्य व्यवस्था सुधारने की बात कही जा रही है।

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