Religious Conversion Case: अंबेडकरनगर में तीन वर्षों में 300 से अधिक परिवारों का हुआ मतांतरण

Religious Conversion Case in Ambedkar Nagar धर्मांतरण कराने की असल कहानी यहां के ग्रामीण खुद बयां करते हैं। हासिमपुर जि‍ंदासपुर के परशुराम प्रजापति बताते हैं कि उनके एक ही बेटा है। उसे एमए-बीएड तक की पढ़ाई कराई। धूमधाम से शादी की लेकिन धीरे-धीरे उसकी चाल-चलन गड़बड़ाने लगा।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Fri, 02 Jul 2021 07:07 AM (IST) Updated:Fri, 02 Jul 2021 07:45 AM (IST)
Religious Conversion Case: अंबेडकरनगर में तीन वर्षों में 300 से अधिक परिवारों का हुआ मतांतरण
मालीपुर थाने के दर्जनों गांवों में आर्थिक रूप से कमजोर और कम पढ़े लिखे लोगों पर खास नजर।

अंबेडकरनगर, [रामानुज मिश्र]। गांव-गांव चंगाई सभा लगाकर बड़ी संख्या में लोगों का धर्मांतरण कराया जा रहा है। इनके निशाने पर खासकर आर्थिक रूप से कमजोर एवं कम पढ़ी-लिखी आबादी है। मालीपुर थाने के एक दर्जन से अधिक गांवों में तीन साल के अंदर करीब तीन सौ परिवारों का मतांतरण कराया गया है। इनमें से कुछ परिवारों के सदस्यों ने ईसाई मिशनरियों पर प्रलोभन देकर धर्मांतरण कराने की शिकायत भी दर्ज कराई, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।

धर्मांतरण कराने की असल कहानी यहां के ग्रामीण खुद बयां करते हैं। हासिमपुर जि‍ंदासपुर के परशुराम प्रजापति बताते हैं कि उनके एक ही बेटा है। उसे एमए-बीएड तक की पढ़ाई कराई। धूमधाम से शादी की, लेकिन धीरे-धीरे उसकी चाल-चलन गड़बड़ाने लगा। बकौल परशुराम करीब दो साल पहले उनके बेटे प्रदीप की तबीयत खराब रहने लगी, उसे डाक्टरों को दिखाया तो दवा से आराम मिल गया। इस बीच पड़ोस के गांव बसिया में लगने वाली चंगाई सभा में नियमित जाने वाला जगपत उनके घर आने-जाने लगा। उसने प्रदीप को चंगाई सभा में जाने पर ईसा मसीह के जादू से ठीक होने का विश्वास दिलाया। इसके बाद प्रदीप हर रविवार को इस सभा में जाने लगा। यहां प्रदीप से कहा गया कि उसके घर वाले हि‍ंदू हैं, इसीलिए वह बीमार है।

मतांतरण करते ही उसके सारे कष्ट कट जाएंगे। घर वालों को इसकी भनक लगी तो उन्होंने आपत्ति जताई, लेकिन जगपत आदि ने उसे घर-गाड़ी आदि का प्रलोभन देकर उसका मतांतरण करा दिया। इसके बाद भी तबीयत न सुधरने पर वह पूरे परिवार पर धर्म बदलने का दबाव डालने लगा। इसको लेकर घर में आए दिन विवाद होने लगा। परशुराम ने बताया कि करीब सालभर पहले इसी मुद्दे पर उसने उनका हाथ तोड़ दिया, बचाव में आई अपनी मां को भी पीटा। कई दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहे। धर्म न बदलने पर पूरे परिवार को जान का खतरा होने की मालीपुर थाने में शिकायत भी की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।

ठट्टा गांव के छोटेलाल चौरसिया की कहानी भी कुछ इसी तरह है। गांव के कई लोगों के मतांतरण के बाद इनका बेटा अजय चौरसिया भी चंगाई सभा में जाने लगा। वहां प्रलोभन में आकर उसने भी मतांतरण कर लिया। छोटेलाल बताते हैं कि वह इस हरकत के लिए लगातार बेटे को मना करते रहे, लेकिन अब वह मारपीट पर आमादा रहता है। घर में हि‍ंदू देवी- देवताओं की पूजा-अर्चना पर भी वह आपत्ति जताता है। कालेपुर महुअल के दीपू गौड़ अपनी पत्नी की हरकतों से परेशान हैं। दीपू लखनऊ में नौकरी करते हैं। उन्हें पता चला कि उनकी पत्नी पिछले 10 रविवार से लगातार चंगाई सभा में जा रही है। इस पर उन्होंने फोन पर ही उसे सुधरने की चेतावनी दी।

दर्जनों गांवों में फैला है नेटवर्क:  मतांतरण का जाल दर्जनों गांवों में फैला है। अल्लीपुर कोडऱा गांव की दलित बस्ती के 50 से अधिक परिवार इसकी जद में हैं। यहां के प्रधान कमलेश वर्मा ने बताया कि कई परिवार चंगाई सभा में शामिल होते हैं, लेकिन लिखापढ़ी में अभी धर्म परिवर्तन नहीं किया है। कालेपुर महुअल के राजितराम ने बताया कि उनके घर के पास ही सभा लगती है। यहां 60-70 लोगों की भीड़ जुटती है और हि‍ंदू देवी-देवताओं के बारे में आपत्तिजनक बातें करते हैं। विरोध करने पर मारने की धमकी देते हैं। इस डर से कोई मुंह खोलने को तैयार नहीं होता। इसी तरह ऊसरपुर, धमरुआ, नेमपुर, हुसैनपुर, विपहन, नूरपुर कला, चितौना कला, श्यामपुर, इटौरी, कुढ़ा मोहम्मदपुर आदि गांवों में मिशनरियों का जाल बिछा है।

तीन पर हो चुकी है कार्रवाई : स्थानीय भाजपा नेता अरवि‍ंद पांडेय की शिकायत पर बीते सोमवार को पुलिस तीन लोगों को गिरफ्तार कर थाने ले गई थी। चालान के बाद कोर्ट ने तीनों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। मामला तूल पकड़ते देख एलआइयू टीम भी जांच करने पहुंची और अपनी रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेजी है। 

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