लखनऊ में बीस से अधिक पोर्टेबल काम्पेकटर मशीनें खराब, सड़कों पर बिखरा कूड़ा बिगाड़ रहा शहर की रंगत
लखनऊ में मेसर्स ईको ग्रीन की एक और लापरवाही सामने आई है। करीब 45 -45 लाख लागत से पोर्टेबल काम्पेकटर मशीनें लगाई गई थीं जिससे खुले में कूड़ा न दिखे। इतनी रकम खर्च होने और बाद में उनका रखरखाव न होने से बीस मशीनें खराब हो गईं हैं।
लखनऊ, जागरण संवाददाता। कूड़ा प्रबंधन में भ्रष्टाचार की दुर्गंध खत्म नहीं हो पा रही है। 2017 से कूड़ा प्रबंधन का काम देख रही मेसर्स ईको ग्रीन की एक और लापरवाही सामने आई है। करीब 45 -45 लाख लागत से पोर्टेबल काम्पेकटर मशीनें लगाई गई थीं, जिससे खुले में कूड़ा न दिखे। इतनी रकम खर्च होने और बाद में उनका रखरखाव न होने से बीस मशीनें खराब हो गईं हैं। मशीनों को ठीक न कराए जाने और सड़कों पर कूड़ा एकत्र रहने से नाराज महापौर संयुक्ता भाटिया ने मेसर्स ईको ग्रीन के अधिकारियों पर नाराजगी जताई है। महापौर ने कहा कि यह कंपनी का काम है कि वह कैसे कूड़े का प्रबंधन करे और अगर सुधार नहीं हुआ तो वह अनुबंध को रद करने के लिए शासन को पत्र लिखेंगी।
खुले में कूड़ा एकत्र करने की लगातार मिल रही शिकायतों पर ही महापौर ने ईको ग्रीन के अधिकारियों को तलब किया था। महापौर ने कहा कि वह जब भी शहर में निकलती हैं तो उन्हें जगह-जगह कूड़े के ढेर नजर आते हैं। इससे बाहर से आने वालों को शहर की गंदी तस्वीर दिखती है। दीपावली आने वाली है और फिर भी सुबह से शाम तक कूड़ाघरों के बाहर कूड़ा नजर आता है। महापौर को कंपनी के अधिकारियों ने बताया कि कुल 54 मशीनें लगाई गई हैं, जिसमे से बीस अधिक खराब हैं, जिन्हें जल्द ही ठीक करा लिया जाएगा। महापौर कंपनी के अधिकारियों की बातों से सहमत नहीं हुईं और कहा कि यह कंपनी का काम है कि वह कोई इंतजाम करे। महापौर ने कहा कि कंपनी ढ़ाई लाख से अधिक घरों से कूड़ा उठाने का दावा कर रही है लेकिन यह दावा भी सही नहीं है। हर दिन किसी न किसी मोहल्ले से शिकायतें आती है कि कूड़ा लेने वाला नहीं आ रहा है। जिन घरों से यूजर चार्ज लिया जा रहा है, वहां से भी नियमित कूड़ा न एकत्र करने से लोगों की नगर निगम के प्रति धारणा गलत बन रही है।
उपयोगी चीज का हो रहा है धंधा: महापौर ने कहा कि मेसर्स ईको ग्रीन के कर्मचारियों की मिलीभगत से कूड़े की छंटाई कर उपयोगी चीज को अलग कर उसे गैरकानूनी तरह से बेचा जा रहा है, जबकि उसका उपयोग कंपनी को करना था। महापौर ने कहा कि मशीन के अंदर छंटाई किए गए कूड़े को रखा जा रहा है, जबकि अनुपयोगी कूड़े को सड़क पर फेंका जा रहा है।
दंड लगने का भी कोई असर नहीं: महापौर ने पिछले दिनों गोमती नगर के दयाल पैराडाइज के पास बने ईकोग्रीन के डंपिंग यार्ड का निरीक्षण किया था, जहां कूड़ा सड़क पर बिखरा था। महापौर ने पाया था कि कूड़ा बीनने वाले कूड़े से प्लास्टिक व अन्य उपयोगी चीज निकालकर करीब तीन दर्जन बोरों में अलग रख रहे थे। महापौर ने कंपनी पर जुर्माना लगाने का आदेश दिया था। इससे पूर्व भी नगर आयुक्त अजय द्विवेदी ने मेसर्स ईको ग्रीन कंपनी पर कूड़ा प्रबंधन ठीक से न करने और घर-घर से कूड़़ा न उठाए जाने पर 2.2 करोड़ का जुर्माना पर लगाया था। नगर निगम की टीम ने जांच में पाया गया था कि मोहान रोड शिवरी प्लांट पर सभी मशीने काम नहीं कर रही थीं और कूड़े का प्रबंधन नहीं हो पा रहा था। प्लांट परिसर में 3,40,000 टन पुराना कूड़ा का पहाड़ खड़ा हो गया था।
अगर यूजर चार्ज देने के बाद भी कूड़ा नहीं लिया जा रहा है या फिर कूड़ाघरों के बाहर कूड़ा एकत्र है तो हमे फोटो समेत मेल करें। पता और मोबाइल नंबर भी भेज दें।