लखनऊ पॉलीटेक्निक में अनोखा सिद्धपीठ, देवाधिदेव महादेव भावी इंजीनियरों को देते हैं यह संदेश
प्रधानाचार्य राजेंद्र सिंह ने बताया कि भूगर्भ विभाग की ओर से वर्षा जल संचयन का प्रबंध किया गया है। यहां पर भावी इंजीनियरों काे छत के पानी से भूगर्भ जल को बचाने के प्रति जागरूक किया जाता है।
लखनऊ, [जितेंद्र उपाध्याय]। राजधानी के लखनऊ पॉलीटेक्निक परिसर में स्थापित देवादिदेव महादेव यहां पढ़ने वाले भावी इंजीनियराें को जल संरक्षण का पाठ पढ़ाते हैं। राजा भागीरथ के प्रयास से मां गंगा का धरती पर अवतरण और उनकी धारा को धरती पर आने से पहले रोकने वाले देवादिदेव महादेव की महिमा के बारे में हर कोई जानता है। भागीरथ का प्रयास पूर्वजों काे मुक्ति देने का था, लेकिन वर्तमान समय में भागीरथ प्रयास से ही भूगर्भ जल और पानी को बचाया जा सकता है। पानी के बगैर जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। पानी के बचाने की मुहिम को लेकर युवाओं में भी जागरूकता की जरूरत है।
इसी मंशा को लेकर लखनऊ पॉलीटेक्निक में भगवान शंकर और गंगा के अवतरण की पूरी दास्तां को दिखाने का प्रयास किया गया है। भावी इंजीनियरों को जल संरक्षण की जानकारी को धार्मिक रूप से बताने के लिए पहाड़ के स्वरूप और भगवान शंकर के मां गंगा के प्रवाह के रोकने के दृश्य को दिखाया गया है। हर भावी इंजीनियर प्रवेश से पहले देवादिदेव महादेव के सामने सिर झुकाकर जल संरक्षण और बिजली बचाने की शपथ लेता है। अब तो आसपास के लोग भी यहां पूजन के लिए आने लगे हैं। परिसर में आने वाले नए विद्यार्थियों को जल संरक्षण के लिए प्रेरित करने के लिए समय-समय पर कार्यशालाएं भी होती है।
प्रधानाचार्य राजेंद्र सिंह ने बताया कि भूगर्भ विभाग की ओर से वर्षा जल संचयन का प्रबंध किया गया है जहां भावी इंजीनियरों काे छत के पानी से भूगर्भ जल को बचाने के प्रति जागरूक किया जाता है। परिसर के अंदर हरियाली का बढ़ाने के लिए विद्यार्थियों की ओर से समय-समय पर पौधारोपण भी किया जाता है। राष्ट्रीय पर्व पर स्वच्छता के साथ ही हरियाली बढ़ाने का संकल्प भी विद्यार्थी दोहराते हैं।