प्रवासी पक्षियों को रास नहीं आ रही उत्तर प्रदेश की आबोहवा, जानें- क्या है जीव विज्ञानियों का मानना

उत्तर प्रदेश के चार प्रमुख पक्षी विहारों में पिछले महीने प्रवासी पक्षियों की अनुमानित संख्या के अध्ययन के साथ पिछले वर्ष की इसी अवधि में आए प्रवासी पक्षियों की संख्या से मिलान करने पर यहां विदेशी मेहमानों की संख्या में कमी देखी गई।

By Umesh TiwariEdited By: Publish:Sat, 27 Feb 2021 06:30 AM (IST) Updated:Sun, 28 Feb 2021 11:09 AM (IST)
प्रवासी पक्षियों को रास नहीं आ रही उत्तर प्रदेश की आबोहवा, जानें- क्या है जीव विज्ञानियों का मानना
प्रवासी पक्षियों को उत्तर प्रदेश की आबोहवा अब रास नहीं आ रही है।

लखनऊ [शोभित श्रीवास्तव]। प्रवासी पक्षियों को उत्तर प्रदेश की आबोहवा अब रास नहीं आ रही है। यही कारण है कि इस बार यहां के पक्षी विहारों में विदेशी मेहमान कम आए हैं। हरदोई के साण्डी व कन्नौज के लाख बहोसी पक्षी विहार में तो पिछले साल के मुकाबले करीब 60 से 70 फीसद तक कम प्रवासी पक्षी आए हैं। जीव विज्ञानी इसका प्रमुख कारण जलवायु परिवर्तन मान रहे हैं। ठंडे देशों से आने वाले इन पक्षियों को हिमालय से पहले ही अपनी मनचाही जलवायु मिल जा रही है, इसलिए वे यहां कम आ रहे हैं।

वन विभाग के अनुसार उत्तर प्रदेश के चार प्रमुख पक्षी विहार नवाबगंज (उन्नाव), समसपुर (रायबरेली), लाख बहोसी (कन्नौज) व साण्डी (हरदोई) में पिछले महीने प्रवासी पक्षियों की अनुमानित संख्या के अध्ययन के साथ पिछले वर्ष की इसी अवधि में आए प्रवासी पक्षियों की संख्या से मिलान करने पर चारों ही पक्षी विहारों में विदेशी मेहमानों की संख्या में कमी देखी गई। साण्डी पक्षी विहार में तो पिछले साल के मुकाबले इस साल केवल 30 फीसद ही पक्षी आए हैं। वर्ष 2020 में जहां जनवरी में अधिकतम तापमान 24 डिग्री सेल्सियस तक गया था, जबकि इस साल जनवरी महीने में ही पारा 29 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया।

जलवायु परिवर्तन भी है इसका प्रमुख कारण : जलवायु परिवर्तन को प्रवासी पक्षियों की संख्या में कमी का प्रमुख कारण मानने वाले डिप्टी चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन अबु अरशद खान कहते हैं कि पिछले एक हफ्ते में ही मौसम में जबरदस्त बदलाव देखने को मिला है। विख्यात पक्षी विज्ञानी डॉ.असद रहमानी कहते हैं कि प्रवासी पक्षियों के न आने के कई कारण होते हैं। यदि हम दीर्घकालिक कारणों की बात करें तो जलवायु परिवर्तन प्रमुख कारण है। डॉ.रहमानी के मुताबिक इस वर्ष उत्तर भारत में बारिश बहुत अच्छी हुई, इस कारण प्रवासी पक्षी चारों ओर फैल गए।

सेंट्रल एशियन फ्लाईवे से आते हैं सबसे अधिक पक्षी : प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं विभागाध्यक्ष सुनील पाण्डेय बताते हैं कि जलवायु परिवर्तन के कारण अधिकतम तापमान लगातार बढ़ रहा है। सेंट्रल एशियन फ्लाईवे के जरिये साइबेरिया, रूस, मंगोलिया व सेंट्रल एशिया आदि से प्रवासी पक्षी अपने यहां आते हैं। जब वहां भीषण ठंड पड़ती है और पानी भी जम जाता है तब यह पक्षी हजारों किलोमीटर लंबी यात्रा कर ऐसे स्थानों पर जाते हैं, जहां इन्हें अपना वंश बढ़ाना मुफीद लगता है। यह पक्षी अपने देशों से हजारों किलोमीटर की यात्रा कर हिमालय की दुर्गम चोटियों के ऊपर से उड़कर आते हैं। यदि इन्हें हिमालय से पहले ही उचित स्थान मिल जाता है तो यह दुर्गम चोटियां पार नहीं करते हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण हर साल प्रवासी पक्षियों की संख्या में गिरावट आ रही है।

यूपी में आते हैं 118 प्रजातियों के प्रवासी पक्षी : उत्तर प्रदेश में करीब 500 तरह के पक्षी पाए जाते हैं, इनमें 233 प्रजातियां जल पक्षियों की हैं। इनमें से 118 प्रजातियां प्रवासी पक्षियों की हैं। गंभीर रूप से लुप्तप्राय 17 प्रजातियों में उत्तर प्रदेश में 10 प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें पिंक हेडेड डक, साइबेरियन क्रेन व ग्रेट इंडियन बस्टर्ड ऐसी प्रजातियां हैं, जो विलुप्त हो गई हैं। प्रदेश के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण प्रजातियों में स्लेंडर-बिल्ड वल्चर, व्हाइट-बैक्ड वल्चर व बंगाल फ्लोरिकन हैं। इसी प्रकार लुप्तप्राय 21 पक्षियों की प्रजातियों में आठ यूपी में पाई जाती हैं। इनमें ग्रेटर एडजुटेंट यूपी में विलुप्त हो गया है। ब्लैक-बेल्ड टर्न व एजिप्शियन वल्चर प्रदेश के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

जनवरी में कहां कितने आए प्रवासी पक्षी

पक्षी विहार  पहला पखवाड़ा दूसरा पखवाड़ा (वर्ष 2020) पहला पखवाड़ा  दूसरा पखवाड़ा (वर्ष 2021)
नवाबगंज, उन्नाव 14534  20668  9724  15963
समसपुर, रायबरेली 18888  19885  18419 18125
लाख बहोसी, कन्नौज 47849  38321  14712  17154
साण्डी, हरदोई 28446  40941  12696  12247 
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