Memories of Dauji Gupta: ...जब आमने-सामने आ गए थे दाऊजी और अटल बिहारी वाजपेयी

दाऊजी ने अटल से पूछा था? उनकी पार्टी अविश्वास प्रस्ताव क्यों ला रही है। अटल ने कहा था कि आपके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव विशुद्ध राजनीति से जुड़ा है सभासद आपको पसंद नहीं कर रहे हैं। आप पर कोई आरोप नहीं है।

By Rafiya NazEdited By: Publish:Mon, 03 May 2021 03:38 PM (IST) Updated:Mon, 03 May 2021 03:38 PM (IST)
Memories of Dauji Gupta: ...जब आमने-सामने आ गए थे दाऊजी और अटल बिहारी वाजपेयी
लखनऊ के पूर्व नगर प्रमुख डाॅ दाऊजी गुप्ता को अपने ही कांग्रेसी सभासदों की झेलनी पड़ी थी बगावत।

लखनऊ [अजय श्रीवास्तव]। रविवार को जिंदगी की अंतिम सांस लेने वाले पूर्व नगर प्रमुख डा.दाऊजी गुप्ता और पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी राजनीति के अखाड़े में एक बार आमने-सामने आ गए थे। जगह थी नगर निगम का त्रिलोकनाथ हाल और तब 1992 में नगर निगम सदन (तब नगर महापालिका) का सदन चल रहा था। उसी समय नगर महापालिका के पदेन सदस्य की हैसियत से अटल बिहारी वाजपेयी नगर प्रमुख रहे (अब महापौर होते हैं) डा. दाऊजी गुप्ता के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान करने पहुंचे थे। यह समय दाऊजी के लिए संकटकाल जैसा था और उनकी कांग्रेस पार्टी के कई सभासद ही बगावत पर उतर आए थे। उस समय सदन की कार्यवाही शुरू होते ही भाजपा की तरफ से अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था। पटल पर अपने खिलाफ अविश्वास का प्रस्ताव आते ही दाऊजी गुप्त कुछ देर शांत हो गए और भावुक हो गए थे।

अटल बिहारी वाजपेयी ने नगर प्रमुख के अविश्वास प्रस्ताव पर भाषण पढ़ा तो दाऊजी अपनी सीट पर ही खड़े हो गए थे और कहा था कि कोई भी एक सफाई कर्मचारी उनके खिलाफ पक्षपात करने का झूठा भी आरोप लगा दे तो वह इस्तीफा देकर चले जाएंगे, लेकिन बिना आरोप के अविश्वास प्रस्ताव लाना ठीक नहीं है।

दाऊजी ने अटल से पूछा था? उनकी पार्टी अविश्वास प्रस्ताव क्यों ला रही है। अटल ने कहा था कि 'आपके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव विशुद्ध राजनीति से जुड़ा है, सभासद आपको पसंद नहीं कर रहे हैं। आप पर कोई आरोप नहीं है।

तब बीच में ही सदन की कार्यवाही छोड़कर दाऊजी चले गए थे और बाद में दाऊजी गुप्ता ने हाईकोर्ट की शरण लेते हुए याचिका दाखिल की थी। प्रकरण अदालत में लंबित होने से अविश्वास प्रस्ताव का मामला भी लटक गया। अविश्वास प्रस्ताव को सदन में लाने की मांग को लेकर सभासदों ने हाईकोर्ट के बाहर मौन धरना दिया था और कोर्ट में सुरक्षित किए गए निर्णय को दिए जाने की मांग की गई थी। कोर्ट से अविश्वास प्रस्ताव लाने की अनुमति मिलने के बाद सदन बुलाया गया था और बहुमत से डा. दाऊजी गुप्ता को नगर प्रमुख के पद से हटा दिया गया था। अविश्वास प्रस्ताव लाने के समय कांग्रेस में बगावत दिखी थी और कांग्रेस के 18 सभासद पलट गए थे और इससे अटल बिहारी वाजपेयी की तरफ से लाए गए अविश्वास को मंजूरी मिल गई थी। तब भाजपा ने नगर प्रमुख के पद पर विद्यासागर गुप्त को तो कांग्रेस ने डा. अखिलेश दास (अब दिवंगत) को मैदान में उतारा था। तब सभासद ही नगर प्रमुख को चुनते थे और बहुमत पाने से डा. अखिलेश दास नगर प्रमुख बन गए थे। हाईकोर्ट ने अविश्वास प्रस्ताव लाने पर अपना निर्णय दिया तो उसके खिलाफ दाऊजी गुप्ता सुप्रीम कोर्ट चले गए थे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के आदेश पर मुहर लगा दी थी।

जब दाऊजी के खिलाफ सजा था मंच: नगर प्रमुख रहते हुए दाऊजी ने 1989 में लखनऊ संसदीय सीट से कांग्रेस उम्मीदवार की हैसियत से चुनाव लड़ा था। उनके खिलाफ जनता दल के उम्मीदवार मंधाता सिंह (दिवंगत) मैदान में थे। तब दाऊजी के खिलाफ सजने वाले चुनावी मंच पर अटल बिहारी वाजपेयी, मुलायम सिंह यादव और वीपी सिंह जैसे नेता होते थे। उसे जनसंघ के बलराज मधोक भी मैदान में आ गए थे और उन्होंने बागी उम्मीदवार के रूप में पर्चा भर दिया था। मंधाता सिंह को 1,10,433 मत मिले थे और दाऊजी को 95,137 मत मिले थे।

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