खत्म हो सकती है इन्द्र प्रताप तिवारी की विधानसभा की सदस्यता, जानिए क्या है पूरा मामला
सुप्रीम कोर्ट के अनुसार अगर किसी सांसद या विधायक को कोर्ट द्वारा लोक प्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा (1) (2) एवं (3) में दोषी घोषित किया जाता है तो उन्हेंं धारा (4) में अपने पद के कारण किसी प्रकार की विशेष रियायत नहीं दी जाएगी।
लखनऊ, राज्य ब्यूरो। गोसाईंगंज से भाजपा विधायक इन्द्र प्रताप तिवारी उर्फ खब्बू तिवारी को पांच साल की सजा होने के बाद अब उनकी विधानसभा की सदस्यता खत्म हो सकती है। कोर्ट का आदेश मिलते ही विधानसभा सचिवालय उनकी सदस्यता खत्म कर रिक्ति घोषित करने का पत्र चुनाव आयोग भेजेगा। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने सितंबर 2014 में मनोज नरूला बनाम केंद्र सरकार के मामले में सुनाए फैसले के अनुसार अगर किसी सांसद या विधायक को कोर्ट द्वारा लोक प्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा (1), (2) एवं (3) में दोषी घोषित किया जाता है तो उन्हेंं धारा (4) में अपने पद के कारण किसी प्रकार की विशेष रियायत नहीं दी जाएगी। दोषी को अपनी संसद या विधानसभा सदस्यता से तत्काल हाथ धोना पड़ेगा।
इस निर्णय से पहले ऐसे सांसद-विधायकों को उक्त कानून की धारा 8 (4) में तीन माह की रियायत मिल जाती थी जिससे वह ऊपरी अदालत में अपील दायर कर निचली अदालत के फैसले पर स्टे ले लेते थे। इससे उनकी सदन की सदस्यता बच जाती थी, परंतु अब ऐसा संभव नहीं है। जिस तिथि से न्यायालय सजा सुनाती है उसी तिथि से सदस्यता चली जाती है। मुख्य निर्वाचन अधिकारी अजय कुमार शुक्ला कहते हैं कि प्रमुख सचिव विधानसभा को ही इसमें फैसला लेना होता है।
यह है पूरा मामला : साकेत महाविद्यालय के तत्कालीन प्राचार्य यदुवंश राम त्रिपाठी ने 18 फरवरी 1992 को रामजन्मभूमि थाने में एफआइआर दर्ज कराई थी। प्राथमिकी के मुताबिक खब्बू तिवारी ने 1990 में बीएससी द्वितीय वर्ष की परीक्षा अनुत्तीर्ण होने पर फर्जी अंकपत्र के आधार पर अगली कक्षा में प्रवेश ले लिया। इसी तरह फूलचंद यादव ने 1986 में बीएससी प्रथम वर्ष की परीक्षा अनुत्तीर्ण होने पर तथा कृपानिधान तिवारी ने 1989 में विधि प्रथम वर्ष की परीक्षा में फर्जी अंकपत्र के आधार पर अगली कक्षा में प्रवेश ले लिया।