Ayodhya : श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्‍ट की बैठक 18 को, तय होगी मंद‍िर के भूमि पूजन की तिथि

मंदिर निर्माण शुरू होने पूर्व बेला में प्रख्यात वास्तुविद आशीष सोमपुरा ने राम जन्मभूमि परिसर का घंटों जायजा लिया।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Thu, 02 Jul 2020 10:08 PM (IST) Updated:Fri, 03 Jul 2020 08:36 AM (IST)
Ayodhya : श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्‍ट की बैठक 18 को, तय होगी मंद‍िर के भूमि पूजन की तिथि
Ayodhya : श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्‍ट की बैठक 18 को, तय होगी मंद‍िर के भूमि पूजन की तिथि

अयोध्या, ( रमाशरण अवस्थी)। भूमि पूजन की प्रतीक्षा के बीच  श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण की तैयारियां पुख्ता होती जा रही हैं। यह हकीकत गुरुवार को पूरी शिद्दत से बयां हुई। जहां मंदिर निर्माण शुरू होने पूर्व बेला में प्रख्यात वास्तुविद आशीष सोमपुरा ने राम जन्मभूमि परिसर का घंटों जायजा लिया वहीं श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्‍ट की बैठक के लिए इसी महीने की 18 तारीख मुकर्रर की गई। यह दोनों संयोग राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण की शुरुआत को लेकर बेहद अहम माने जा रहे हैं।

आशीष सोमपुरा उन चंद्रकांत सोमपुरा के पुत्र और वास्तुविद के तौर पर उनकी महान विरासत आगे बढ़ाने वाले प्रतिनिधि हैं जिन्होंने तीन दशक पूर्व राम जन्मभूमि पर प्रस्तावित मंदिर का मानचित्र तैयार किया था। आज इसी मानचित्र के आधार पर राम मंदिर का निर्माण शुरू किए जाने की तैयारी है। बढ़ती उम्र और स्वास्थ्य संबंधी कारणों से चंद्रकांत सोमपुरा का आना-जाना आसान नहीं रह गया है और इन परिस्थितियों में मंदिर निर्माण शुरू कराने के अहम मोर्चे पर उन्होंने अपने पुत्र और स्थापत्य कला की दृष्टि से सक्षम उत्तराधिकारी आशीष सोमपुरा को अयोध्या भेजा है। ऐसे में आशीष सोमपुरा के अयोध्या आगमन की गंभीरता का अंदाजा लगाया जा सकता है।

सूत्रों के अनुसार आशीष सोमपुरा के आगमन का मकसद तीन दशक पूर्व तकरीबन सवा एकड़ में प्रस्तावित मंदिर के लिए गढ़ी गई शिलाओं की शिफ्टिंग की योजना को अंतिम स्वरूप देना भर नहीं है बल्कि वे संपूर्ण 70 एकड़ के राम जन्मभूमि परिसर में निर्माण की योजना की रूपरेखा लेकर प्रस्तुत हुए हैं । उनके इस दौरे के बाद राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट प्रस्तावित मंदिर निर्माण की कार्य योजना को लेकर कहीं अधिक स्पष्ट रवैये के साथ आगे बढ़ सकेगा तो उसके पास प्रस्तावित मंदिर के आकार प्रकार पर सवाल उठाकर भव्यतम मंदिर की मांग से उपजे दबाव का सामना करने का विश्वास भी होगा। 

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