Coronavirus News: कोरोना के साथ डर को भी दी मात, डेढ़ महीने में दो बार KGMU में हुईं भर्ती

मीरा अग्रवाल लखनऊ के रिवर बैंक काॅलोनी में रह रहे डाॅक्टर बेटे अभिषेक अग्रवाल और बहू पूर्वी के पास कुछ दिन के लिए आईं। बाद में बेटे और बहू भी अयोध्या गए और लखनऊ लौटने के कुछ समय बाद उन्हें बुखार हुआ। दोनों की रिपोर्ट पाॅजिटिव आई।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Tue, 18 May 2021 10:22 PM (IST) Updated:Wed, 19 May 2021 07:42 AM (IST)
Coronavirus News: कोरोना के साथ डर को भी दी मात, डेढ़ महीने में दो बार KGMU में हुईं भर्ती
केजीएमयू के कोविड अस्पताल में दो बार भर्ती हुईं मीरा अग्रवाल बोलीं, अस्पताल से मिला नया जीवन।

लखनऊ, जेएनएन। अयोध्या के वैदेही नगर निवासी 58 वर्षीय मीरा अग्रवाल को केजीएमयू के डालीगंज स्थित कोविड अस्पताल में दो बार भर्ती होना पड़ा। उन्हें कोविड निमोनिया भी हो गया था। करीब डेढ़ महीने तक चले संघर्ष के बाद अंततः उन्होंने कोरोना के साथ भय को भी मात दे ही दी। वह कहती हैं- पहले दहशत होती थी कि मैं ठीक नहीं हो पाऊंगी, पर धीरे-धीरे कोरोना के साथ डर भी हारता गया। केजीएमयू के कोविड अस्पताल से उन्हें नया जीवन मिला।

मीरा अग्रवाल लखनऊ के रिवर बैंक काॅलोनी में रह रहे डाॅक्टर बेटे अभिषेक अग्रवाल और बहू पूर्वी के पास कुछ दिन के लिए आईं। बाद में बेटे और बहू भी अयोध्या गए और लखनऊ लौटने के कुछ समय बाद उन्हें बुखार हुआ। दोनों की रिपोर्ट पाॅजिटिव आई। मां का भी टेस्ट कराया गया, जो पाॅजिटिव आया। मीरा अग्रवाल को बहू के साथ केजीएमयू के कोविड अस्पताल में भर्ती करवाया गया। पहली बार भर्ती हुईं तो पांच दिन में लक्षण कुछ कम होने पर अस्पताल से डिस्चार्ज कर होम आइसोलेशन में रखा गया। घर आने के कुछ दिन बाद ही फिर से बुखार आने लगा। बुखार नहीं रुका तो ब्लड टेस्ट करवाया गया। ब्लड टेस्ट रिपोर्ट में कोरोना के सारे मार्कर बढ़े हुए थे। आॅक्सीजन लेवल भी कम हो रहा था। फिर इन्हें दोबारा केजीएमयू के कोविड अस्पताल में भर्ती कराया गया। इस दौरान मीरा अग्रवाल के बेटे भी इनके साथ रहे।

शुरू में इतनी हालत खराब थी कि करवट तक लेने में दिक्कत होती थी। इतनी कमजोरी आ गई कि हाथ तक नहीं उठ पाता। धीरे-धीरे दवाइयों ने असर किया, हल्का फुल्का व्यायाम शुरू करवाया गया। मीरा अग्रवाल के अनुसार अस्पताल में किसी मरीज के साथ अप्रिय घटित होने पर कई बार नकारात्मकता भी घेर लेती। दो तीन दिन एंटी डिप्रेशन दवा भी दी गई। फिर सोचा- ये वक्त घबराने का नहीं, मुश्किल का डटकर सामने करने का है। करीब 16 दिन बाद कोरोना के लक्षण कम दिखे तो डिस्चार्ज कराकर घर ले आया गया। घर लाने के 20 दिन बाद भी मीरा अग्रवाल पाॅजिटिव ही रहीं। कई बार रिपीट कोरोना टेस्ट के बाद आखिरकार उनकी रिपोर्ट निगेटिव आ ही गई। मीरा अग्रवाल कहती हैं- हमें खुद के साथ ही इलाज कर रहे डाॅक्टर पर भी भरोसा करना चाहिए। केजीएमयू कोविड वार्ड में डाॅक्टरों को तन्मयता के साथ मरीजों की सेवा करते देखना सकारात्मकता का संचार करता है। 

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