National Technology Day: DRDO द्वारा कोविड के लिए विकसित दवा कैंसर पर भी होगी कारगर, कोरोना को सेकेंड फेज में करेगी खत्म

कोरोना के उपचार के लिए डीआरडीओ द्वारा विकसित की गई 2डीजी स्वदेशी दवा कैंसर पर भी कारगर होगी। मंगलवार को प्रौद्योगिकी दिवस के अवसर पर सीएसआईआर-एनबीआरआई एवं आईआईटीआर द्वारा संयुक्त रुप से आयोजित वेबीनार में ये जानकारी दी गई।

By Rafiya NazEdited By: Publish:Tue, 11 May 2021 05:43 PM (IST) Updated:Tue, 11 May 2021 08:32 PM (IST)
National Technology Day: DRDO द्वारा कोविड के लिए विकसित दवा कैंसर पर भी होगी कारगर, कोरोना को सेकेंड फेज में करेगी खत्म
राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस पर एनबीआरआई व आईआईटीआर लखनऊ में हुआ वेबिनार।

लखनऊ, जेएनएन। कोरोना के उपचार के लिए डिफेंस रिसर्च डेवलपमेंट आर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित की गई 2डीजी स्वदेशी दवा कैंसर पर भी कारगर होगी। मंगलवार को प्रौद्योगिकी दिवस के अवसर पर सीएसआईआर-एनबीआरआई एवं आईआईटीआर द्वारा संयुक्त रुप से आयोजित वेबीनार में यह जानकारी इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन एंड एलाइड साइंस, डीआरडीओ के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.अनंत नारायण भट्ट ने दी। डॉ.भट्ट उस टीम के मुख्य सदस्य हैं जिसने कोरोना वायरस के विरुद्ध स्वदेशी दवा 2 डीजी विकसित की है। 

डॉ.भट्ट ने स्वदेशी कोविड विरोधी औषधि का विकास विषय पर व्याख्यान देते हुए कहा कि दवा शरीर में वायरल संक्रमण के गुणन को कम करती है। यही नहीं इससे वायरस आसपास की अन्य कोशिकाओं को फिर से संक्रमित करने की क्षमता भी खो देता है जिसके चलते नई कोशिकाओं में वायरस का प्रवेश नहीं हो पाता। उन्होंने दवा के वायरस पर होने वाले प्रभाव पर जानकारी देते हुए बताया कि वायरस जनित बीमारी में तीन प्रमुख अवस्थाएं होती हैं जिसमें वायरस का गुणन, उच्च प्रतिरोधक प्रतिक्रिया एवं श्वसन तंत्र का नष्ट होना प्रमुख है। 2 डीजी दवा इनमें से पहली दो अवस्थाओं के दौरान ही वायरस को बेअसर करने में कारगर है। उन्होंने बताया कि यह दवा वायरस के गुणन के द्वारा नए वायरस के जन्म के समय उनके बाह्य प्रोटीन आवरण की संरचना को प्रभावित करती है। जिसके कारण नए उत्पन्न हुए वायरस आसपास की नई कोशिकाओं को संक्रमित करने में असफल हो जाते हैं। डॉ.भट्ट ने बताया कि दवा को मनुष्य पर आगे परीक्षण के लिए ड्रग जनरल कंट्रोल ऑफ इंडिया से क्लीनिकल परीक्षण की मंजूरी मिल चुकी है। उन्होंने कहा कि केवल कोविड ही नहीं महत्वपूर्ण यह भी है कि इस औषधि में कैंसर रोधी गुण होने के कारण इसका भविष्य में कैंसर के उपचार में भी प्रयोग संभव हो सकेगा। 

इसके पूर्व एनबीआरआई व आईआईटीआर के निदेशक प्रोफेसर एसके बारिक ने कहा कि देश के विभिन्न वैज्ञानिक संगठन कोविड-19 महामारी से लड़ने के लिए विभिन्न स्तरों पर साझा प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने डीआरडीओ के अध्यक्ष को इस औषधि के लिए बधाई दी और कहा कि यह औषधि देश को इस महामारी से निकालने में कारगर सिद्ध होगी। वेबीनार के अंत में मुख्य वैज्ञानिक डॉ.पी ए शिर्के ने धन्यवाद दिया।

राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस: उधर सेंटर ऑफ बायोमेडिकल रिसर्च (सीबीएमआर) में भारत के लिए सस्ती हेल्थ केयर विषय पर आयोजित व्याख्यान देते हुए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान आईआईटी के बायोसाइंसेज एंड बायोइंजीनियरिंग विभाग के प्रमुख एवं प्रोफेसर डॉ. रोहित श्रीवास्तव ने जानकारी साझा की। उन्होंने कहा कि बुनियादी प्रयोगशालाओं में सस्तेे चिकित्सा उपकरणों का प्रयोग बखूबी किया जा सकता है। इस प्रकार मौलिक बुनियादी विज्ञान के साथ नवीन प्रौद्योगिकियों का प्रयोग कर लोगों को किफायती हेल्थकेयर उपलब्ध कराई जा सकती है। इसमें रक्त रसायन, घाव के लिए बायोडिग्रेडेबल स्पंज, ट्रांसडर्मल दवा के लिए माइक्रो पैच और पंप आदि शामिल हैं।उन्होंने डॉक्टर शोधकर्ताओं,जैव चिकित्सा वैज्ञानिकों और इंजीनियरों के बीच आपसी समन्वय बढ़ाने पर जोर दिया। युवा पीढ़ी को विज्ञान में अपना करियर बनाने के लिए प्रेरित किया।

सीबीएमआर के निदेशक प्रोफेसर आलोक धावन ने राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस के मौके पर खास तौर पर कोविड महामारी से निपटने के लिए विकसित प्रौद्योगिकियों पर चर्चा की।

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