Medical Oxygen Crisis: लखनऊ में 12 घंटे लाइन में लगने के बाद भी नहीं मिल रहे सिलेंडर, अस्पतालों में भी ऑक्सीजन खत्म

Medical Oxygen Crisis in Lucknow लखनऊ में मेडिकल ऑक्सीजन की भयंकर किल्लत होने के कारण लोग 12-14 घंटे तक लाइन में लगने के बाद भी निराश हैं। न तो हॉस्पिटल में बेड मिल रहे हैं और न ही बाजार तथा अस्पताल में दवाएं उपलब्ध हैं।

By Dharmendra PandeyEdited By: Publish:Mon, 03 May 2021 06:03 PM (IST) Updated:Mon, 03 May 2021 06:39 PM (IST)
Medical Oxygen Crisis: लखनऊ में 12 घंटे लाइन में लगने के बाद भी नहीं मिल रहे सिलेंडर, अस्पतालों में भी ऑक्सीजन खत्म
निजी और महंगे अस्पतालों में भी मेडिकल ऑक्सीजन खत्म

लखनऊ, जेएनएन। कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर के बढ़ते कहर के बाद भी राजधानी लखनऊ के लोग बड़े अभाव में हैं। झारखंड के बोकारो के साथ ही उत्तराखंड से तमाम टैंकर मेडिकल ऑक्सीजन लखनऊ में पहुंचने के बाद भी लोगो को 12 घंटा लाइन में लगने के बाद भी सिलेंडर नहीं मिल रहा है। यह तो लखनऊ का हाल है, जहां पर सारी सुविधा होने का दावा किया जा रहा है। न तो सिलेंडर रिफिल हो रहा है और न ही मिल रहा है। इतना ही नहीं अस्पतालों में भी ऑक्सीजन न होने के कारण गंभीर रूप से बीमार भर्ती नहीं हो पा रहे हैं।

लखनऊ में मेडिकल ऑक्सीजन की भयंकर किल्लत होने के कारण लोग 12-14 घंटे तक लाइन में लगने के बाद भी निराश हैं। न तो हॉस्पिटल में बेड मिल रहे हैं और न ही बाजार तथा अस्पताल में दवाएं उपलब्ध हैं। ऐसे में आम आदमी तो सिर्फ भगवान से ही अपनी और स्वजनों की जान की भीख मांग सकता है। लखनऊ के ऐशबाग और नादरगंज के ऑक्सीजन प्लांट में सन्नाटा पसरा है। यहां पर लोग सड़कों पर ही एक लाइन से सिलेंडर लगाकर इस उम्मीद में है कि शायद उन्हें 'सांस' मिल जाए। तीमारदार शहर में जगह-जगह लम्बी लाइन में लग सांसें लेने के प्रयास में है। यह लोग स्वजनों की जान बचाने की खातिर घंटों लाइन में लग रहे हैं।12-14 घंटे के तप के बाद भी यह लोग निराश लौटते हैं।

लखनऊ के अस्पतालों का भी हाल बेहद खराब है। सरकारी अस्पताल की ओर तो आम आदमी रुख नहीं कर पा रहा है जबकि निजी और महंगे अस्पतालों में भी मेडिकल ऑक्सीजन खत्म है। ऑक्सीजन की किल्लत के कारण विभवखंड के सन हॉस्पिटल ने कोविड मरीजों को अस्पताल से हटाने का नोटिस लगाया है। यहां पर ऑक्सीजन खत्म होने से मरीजों की जान संकट में है। इस अस्पताल में बड़ी संख्या में कोविड मरीज भर्ती हैं। अभी चंद रोज पहले ही मेयो हॉस्पिटल ने भी कुछ ऐसा ही नोटिस लगा दिया था। इसके विपरीत अफसर ऑक्सीजन वितरण का दावा कर रहे। उनकी नजरों में तो सब 'फील गुड' है।

लखनऊ के ही कुछ अस्पतालों में तो संक्रमितों को इस शर्त के साथ भर्ती किया जा रहा है कि वह लोग अपने साथ ही ऑक्सीजन लेकर आएं। यहां पर निजी अस्पताल में ऑक्सीजन लाने पर भर्ती हो रही है। लखनऊ में बीते हफ्ते से मेडिकल ऑक्सीजन के लिए हाहाकार मची है। यहां के अधिकांश बड़े अस्पतालों में अब तक ऑक्सीजन का बैकअप नहीं है। कोविड अस्पतालों में 24 घंटे का भी बैकअप नहीं है तो निजी अस्पताल बैकअप के लिए परेशान हो रहे हैं। इन सभी जगह पर भर्ती मरीजों के परिजन भटकने को मजबूर हैं। ऑक्सीजन की किल्लत के कारण अस्पतालों में बेड खाली हो रहे हैं। ऑक्सीजन न मिलने से यह सभी अस्पताल अपने को नॉन कोविड करने की मांग कर रहे हैं। निजी अस्पतालों ने नॉन कोविड में बदलने के प्रस्ताव भेजे हैं। शहर के बड़े अस्पताल ऑक्सीजन की किल्लत झेल रहे हैं। अस्पतालों में मांग के अनुरूप ऑक्सीजन नहीं मिल रही है। मेयो, इंट्रीगल, कैरियर के साथ मैक्वेल जैसे अस्पतालों में ऑक्सीजन की भीषण कमी है।

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