लखनऊ : केजीएमयू में भूख हड़ताल पर बैठे इंटर्न डॉक्टर, केंद्रीय संस्थानों के बराबर मांग रहे मानदेय

एमबीबीएस एवं बीडीएस इंटर्न के स्टाइपेंड में पिछले 10 सालों से कोई वृद्धि नही हुई है। पिछले 10 सालों में महंगाई कई गुना बढ़ चुकी है लेकिन स्टाइपेंड आज भी केवल 7500 रूपये प्रति माह ही मिल रहा है।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Tue, 24 Nov 2020 03:02 PM (IST) Updated:Tue, 24 Nov 2020 03:02 PM (IST)
लखनऊ : केजीएमयू में भूख हड़ताल पर बैठे इंटर्न डॉक्टर, केंद्रीय संस्थानों के बराबर मांग रहे मानदेय
प्रदेश के समस्त इंटर्न डॉक्टर कार्य बहिष्कार के लिए बाध्य होंगे।

लखनऊ, जेएनएन। किंग जार्ज मेडिकल विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के एमबीबीएस इंटर्न डाक्टरों ने समान कार्य,समान वेतन की मांग को लेकर धरना दिया और कुलपति,मुख्य चिकित्सा अधिक्षक,कुलानुशासक एवं महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा एवम प्रशिक्षण ,उत्तर प्रदेश को ज्ञापन सौंपा। एमबीबीएस एवं बीडीएस इंटर्न के स्टाइपेंड में पिछले 10 सालों से कोई वृद्धि नही हुई है। पिछले 10 सालों में महंगाई कई गुना बढ़ चुकी है लेकिन स्टाइपेंड आज भी केवल 7500 रूपये प्रति माह ही मिल रहा है।

धरने पर बैठे इंटर्न का कहना है कि कोविड महामारी के दौर में भी पूरी निष्ठा से कर्तव्यों का पालन कर रहे हैं। लगातार आठ से 12 घंटे जहां भी जरूरत हो जैसे कोरोना ट्रायज एरिया, फ्लू ओपीडी, इमरजेंसी, कोरोना होल्डिंग एरिया और सभी विभागों इत्यादि जहां संक्रमण का सबसे ज्यादा खतरा है बिना किसी झिझक के सेवा दे रहे हैं। बदले में सरकार केवल 250 रूपये प्रतिदिन देती है। जो दैनिक मजदूर को मिलने वाली राशि से भी कही कम है। उनका कहना है कि एक तरफ सरकार हमें कोरोना वारियर कहती है और दूसरी तरफ इस तरह का अन्याय हो रहा है।

यह पहला मौका नहीं है जब इंटरनेट स्टाइपेंड को लेकर नाराजगी व्यक्त की है। पूर्व में भी मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर स्टाइपेंड बढ़ाने की मांग की थी। यह भी अवगत कराया था कि स्टाइपेंड केंद्रीय चिकित्सा संस्थानों और अन्य राज्यों के चिकित्सा संस्थानों की तुलना में काफी कम है। केन्द्रीय चिकित्सा संस्थानों में जहां इसी कार्य अवधि के 23,500 रूपये दिए जाते हैं। वहीं दूसरे राज्यों में भी 30,000 रूपये तक दिए जा रहे हैं। सरकार से मांग की है कि चिकित्सा को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए मांगों पर अतिशीघ्र ध्यान दें और हमारी स्टाइपेंड केंद्रीय चिकित्सा विश्वविद्यालय के बराबर करें। अन्यथा प्रदेश के समस्त इंटर्न डॉक्टर कार्य बहिष्कार के लिए बाध्य होंगे। 

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