अपने गार्डन की पत्तियों को जलाइए नहीं, खाद बनाइए

पर्यावरण संरक्षण : एनबीआरआइ की पहल, बागवानी के शौकीनों को अच्छी क्वालिटी के पौधों के साथ-साथ खाद भी उपलब्ध कराएगा।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Thu, 15 Nov 2018 02:30 PM (IST) Updated:Thu, 15 Nov 2018 02:30 PM (IST)
अपने गार्डन की पत्तियों को जलाइए नहीं, खाद बनाइए
अपने गार्डन की पत्तियों को जलाइए नहीं, खाद बनाइए

लखनऊ, (रूमा सिन्हा)। दिनोंदिन दूषित होती प्राण वायु के लिए कुछ हद तक जगह-जगह जलाई जाने वाली पत्तियां भी हैं। यह तब है जबकि इससे आसानी से खाद तैयार की जा सकती है। राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (एनबीआरआइ) ने शहर का पर्यावरण दुरुस्त हो इसके लिए नई पहल की है। संस्थान ऐसे स्थानों पर जहां पेड़ों से बड़ी तादाद में पत्तियां गिरती हैं पत्तियों से खाद बनाने की न केवल ट्रेनिंग देगा बल्कि  'माइक्रोब्स' जो पत्तियों को सड़ा कर खाद में तब्दील कर देते हैं भी उपलब्ध कराएगा। संस्थान स्वयं भी हर साल दस टन पत्ती की खाद तैयार कर शहरवासियों को उपलब्ध कराएगा। यह जानकारी मुख्य वैज्ञानिक एवं उद्यान प्रभारी डॉ.एसके तिवारी ने दी।

उन्होंने बताया कि गार्डेन में पेड़ों से बड़ी तादाद में पत्तियां गिरती हैं। इन पत्तियों से माइक्रोब्स की मदद से खाद बनाने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए चार-पांच स्पॉट चुने गए हैं। यहां संस्थान द्वारा विकसित माइक्रोबियल टेक्नोलॉजी का प्रयोग कर खाद तैयार की जाएगी। अनुमान है कि हर साल दस टन खाद तैयार हो सकेगी। शहर में यदि कहीं बड़ी तादाद में पत्तियां गिरती हों और पत्ती की खाद बनाना चाहें तो एनबीआरआइ माइक्रोब्स उपलब्ध कराएगा। इससे जगह-जगह पत्तियों में आग लगाने का चलन कम होगा। प्राणवायु दूषित नहीं होगी वहीं पौधों के लिए जैविक खाद भी तैयार हो सकेगी। उन्होंने कहा कि माइक्रोब्स पत्तियों को सड़ा कर बहुत जल्द खाद में तब्दील कर देंगे।

डॉ.तिवारी ने कहा कि एनबीआरआइ बागवानी के शौकीनों को अच्छी क्वालिटी के पौधों के साथ-साथ खाद भी उपलब्ध कराएगा। इसके अलावा माली की जरूरत को पूरा करने के लिए बेरोजगार युवकों को प्रशिक्षित करेगा जिससे उन्हें रोजगार तो मिलेगा ही वहीं शहरियों को ट्रेंड माली मिल सकेंगे।

संकटग्रस्त पौधों को बढ़ाने के लिए होगा काम

डॉ. तिवारी ने कहा कि गार्डेन में ऑर्किड, मॉस, फर्न, साइकेड, पाम आदि कंजरवेट्री हैं। चूंकि एनबीआरआइ एक राष्ट्रीय संस्थान है इसलिए देश भर से ऐसे संकटग्रस्त पौधों को लाकर यहां उगाया जाएगा।

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