महंत मडर्र केस: सीने और सिर में दागी गोलियां, हिस्ट्रीशीटर ने दिया वारदात को अंजाम
चिनहट में बुधवार को चिनहट क्षेत्र के महंत दिनेशानंद को हिस्ट्रीशीटर बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी।
लखनऊ, जेएनएन। चिनहट क्षेत्र में बुधवार को हुई महंत की हत्या में पुलिस प्रशासन की भूमिका सवालों के घेरे में है। घटना के बाद मौके पर पहुंची स्थानीय अभिसूचना इकाई भी फेल साबित हुई। खासकर तब जब पुलिस और प्रशासन के संज्ञान में पूरा प्रकरण था और आरोपित हिस्ट्रीशीटर था। जानकारी के बावजूद प्रशासनिक अमले ने इसे गंभीरता से नहीं लिया और एक बेकसूर को मौत के घाट उतार दिया गया।
हमलावरों ने जिस स्थान पर वारदात को अंजाम दिया, उससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि उन्होंने पहले से हत्या की योजना बनाई थी। ग्राम प्रधान के अलावा बुलेट और बाइक से पहले से मौजूद चार लोगों ने करीब 10 राउंड से ज्यादा गोलियां दागीं। स्वामी दिनेशानंद के सीने में करीब चार गोलियां लगी हैं, जबकि एक सिर से पार हो गई। एसएसपी का कहना है कि मुख्य आरोपित सुशील के खिलाफ जिला बदर की तैयारी थी। पांच अप्रैल से आरोपित को जिलाबदर किया जाने वाला था, लेकिन आरोपित ने इससे पहले ही वारदात को अंजाम दे दिया। आरोपित के खिलाफ पहले भी कई मुकदमें दर्ज हैं।
पत्नी का आरोप, पुलिस प्रशासन ने मरवा डाला : सतरिख रोड पर स्वामी दिनेशानंद का आश्रम है और उसी के भीतर बने आवास में वे परिवार के साथ रहते थे। वारदात के बाद बच्चों को घर लेकर पहुंची प}ी खुशबू ने पुलिस प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए। पति की हत्या से आहत खुशबू ने रोते हुए कहा कि उनके पति की हत्या पुलिस प्रशासन की मिलीभगत का परिणाम है। बोलीं, बुधवार को कुछ पुलिसकर्मी मेरे पति को लेकर गए थे। आखिर, पुलिस के रहते मेरे पति की हत्या कैसे हो गई। अगर घर से पुलिसकर्मी साथ में गए थे तो फिर घटनास्थल पर क्यों नहीं गए?
चिनहट में प्लॉटिंग के खेल का विवाद : चिनहट इलाके में जमीनों पर प्लाटिंग को लेकर विवाद कोई नया नहीं है। क्षेत्र में सरकारी, ग्राम सभा, बंजर या फिर नाला ही क्यों न हो। हर तरह की जमीनों पर स्थानीय प्रॉपर्टी डीलरों ने कब्जा कर रखा है। आए दिन जमीन से संबंधित विवाद कोतवाली में आते रहते हैं और नाले पर हुए कब्जे की कहानी भी पुलिस और राजस्वकर्मियों को थी, लेकिन किसी ने इसे गंभीरता से नहीं लिया था।
निरस्त हुआ था आरोपित का कोटा : आरोपित सुशील के पास पहले लंबे समय से सरकारी राशन का कोटा था। लगातार मिल रही अनियमितता की शिकायत के चलते 11 मार्च को कोटा निरस्त कर दिया गया था। एसएसपी का कहना है कि आरोपित के खिलाफ दो जनवरी को गुंडा एक्ट की कार्रवाई भी हुई थी, जो न्यायालय में विचाराधीन है। यही नहीं, 23 फरवरी को उसके खिलाफ 107/116 की कार्रवाई हुई थी और बीते 24 मार्च को उसकी हिस्ट्रीशीट खोली गई थी।