100 साल की दहलीज पर पहुंचा लखनऊ का चिड़ियाघर, जानें-क्या है इसका इतिहास

मैं चिड़ियाघर हूं। तीन किलोमीटर की परिधि के अंदर पांच हजार पेड़ों की छांव के बीच समय के साथ मैंने खुद को बदलते देखा है। इक्का से लेकर मेट्रो शहर की दास्तां जेहन में हिचकोले मार रहा है। नरही गेट की ओर इक्को की कतार देखकर मैं खुश होता था।

By Vikas MishraEdited By: Publish:Wed, 17 Nov 2021 10:01 AM (IST) Updated:Wed, 17 Nov 2021 10:01 AM (IST)
100 साल की दहलीज पर पहुंचा लखनऊ का चिड़ियाघर, जानें-क्या है इसका इतिहास
देशी-विदेशी वन्यजीवों के साथ लखनऊ चिड़ियाघर का सफर शुरू हुआ और अब 100 साल पूरा होने जा रहा।

लखनऊ, [जितेंद्र उपाध्याय]। मैं चिड़ियाघर हूं। तीन किलोमीटर की परिधि के अंदर पांच हजार पेड़ों की छांव के बीच समय के साथ मैंने खुद को बदलते देखा है। इक्का से लेकर मेट्रो शहर की हर दास्तां मेरे जेहन में हिचकोले मार रहा है। नरही गेट की ओर इक्को की कतार देखकर मैं खुश होता था तो अब लेकर वाहनों की कतारों को देख मैं इठलाता रहता हूं। अंग्रजों की गुलामी के दिनों में 29 नवंबर 1921 को प्रिंस वाल्स के आगमन के स्वागत में तत्कालीन अंग्रेज गवर्नर सर हरकोर्ट बटलर ने मेरी स्थापना की थी। देशी-विदेशी वन्यजीवों के साथ मेरा सफर शुरू हुआ और अब 100 साल पूरे कर रहा हूं। 

मुझे पहले बनारसी बाग के नाम से जाना जाता था। शहर के बाहर बनारस से आए आम के पेड़ों की वजह से मेरा नाम बनारसी बाग पड़ गया। 18वीं शताब्दी में लखनऊ के नवाब नसीरुद्दीन हैदर ने बाग के रूप न केवल स्थापना की, बल्कि बारादरी का निर्माण कर नवाबी कला के रंग को मेरे परिसर में समाहित कर दिया। फिरंगियों की सैरगाह के रुप में मैं प्रचलित हो गया और मेरा नाम भी बनारसी बाग से बदलकर प्रिंस वाल्स जुलोजिकल गार्डन ट्रस्ट हो गया। 2001 में जुलोजिकल पार्क और फिर लखनऊ चिड़ियाघर के बाद 2015 में नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान के नाम से मैं प्रसिद्ध हो गया हूं। मैं सूबे का सबसे पुराना चिड़ियाघर हूं। सरकार के अधीन होने के बावजूद मेरे ऊपर सरकारी होने का तमगा नहीं लग सका है।

मुझे देखने वाले दर्शकों के टिकट और समाजसेवियों के वन्यजीवों को गोद लेेने की दिलचस्पी के चलते मैं लगातार बढ़ रहा हूं। 1925 मेरे अंदर राजा बलरामपुर ने बब्बर शेर के बाड़े का निर्माण कराया था। कभी मेरे अंदर रहने वाजे वन्यजीव लोहे के बने बाड़ों में रहते थे। 1935 में रानी राम कुमार भार्गव ने तोता लेन का निर्माण कराया और फिर भालू, टाइगर बाड़ों के साथ अब मेरे अंदर 100 बाड़े हैं जहां एक हजार से अधिक वन्यजीव अपनी जिंदगी जीने के साथ आने वाले दर्शकों का मानोरंजन करते हैं। 2006-8 में हाथी सुमित और जयमाला के जंगल जाने का दु:ख और दर्शकों के प्रिय हूक्कू बंदर के जाने का गम मैं भूल नहीं पा रहा हूं। कोरोना संक्रमण काल में आनलाइन हो गया तो दर्शकों ने भी मुझे घर बैठक खूब पसंद किया। करीब डेढ़ लाख दर्शक मुझे आनलाइन देखने लगे। अनलाक के बाद दर्शकों की आमद से मैं फिर से दर्शकों से गुलजार होने लगा हूं।

स्थापना दिवस के तहत आज से शुरू होंगी प्रतियोगिताएंः प्राणि उद्यान के निदेशक आरके सिंह ने बताया कि निबंध प्रतियोगिता, फोटो ग्राफी प्रतियोगिता और स्लोगन लेखन प्रतियोगिताएं 16 से 26 नवंबर तक चलेगी। 29 को स्थापना दिवस मनाया जाएगा। लखनऊ चिड़ियाघर की वेबसाइट lucknowzoo पर जानकारी उपलब्ध है।

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