लखनऊ: वजीरगंज दंगे के आरोपित कलीम ने किया अदालत में सरेंडर Lucknow News
लखनऊ के वजीरगंज में वर्ष 2013 में एक समुदाय के दो पक्षों के बीच बलवे में एक युवक की हो गई थी मौत।
लखनऊ, जेएनएन। वजीरगंज क्षेत्र में 16 जनवरी 2013 को एक समुदाय के दो पक्षों के बीच हुए बलवे के आरोपित कलीम ने गुरुवार को कोर्ट में सरेंडर कर दिया। आरोपित पर हाल में महानगर कोतवाली में जालसाजी की एफआइआर दर्ज हुई थी। इसमें आरोपित के दो बेटे भी नामजद हैं।
दरअसल, दंगे की जांच कर रही वजीरगंज पुलिस ने तब बड़ा खेल किया था। पुलिस ने मामले में दर्ज कराए गए अलग-अलग मुकदमों से तीन आरोपितों के नाम निकाल दिए थे, जिनमें कलीम भी शामिल था। शासन के निर्देश पर इस वारदात की जांच कर रहे विशेष अनुसंधान दल (एसआइटी) ने साक्ष्यों के आधार पर तीनों आरोपितों के नाम वापस मुकदमे में शामिल किए थे।
ये है मामला
वजीरगंज कोतवाली के पास जनवरी 2013 में एक समुदाय के दो पक्षों के बीच मारपीट-फायङ्क्षरग की घटना हुई थी। इस दौरान गोली लगने से स्थानीय युवक वेद प्रकाश यादव (25) की मौत हो गई थी। वजीरगंज कोतवाली में इस घटना को लेकर दर्ज कराए गए अलग-अलग छह मुकदमों में पूर्व पार्षद नईम उर्फ नम्मू, पूर्व सांसद मु. दाऊद, मकसूद, कलीम, मु. इकबाल, आसिफ, शब्बीर, साजिद, बाबू उर्फ सुहेल सहित 20 से अधिक आरोपितों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज हुई थी। इनमें हत्या का मुकदमा वेद प्रकाश के पिता अशोक कुमार यादव की ओर से दर्ज कराया गया था। एसआइटी ने तब छह मुकदमे दर्ज कर उनकी जांच शुरू की थी। एसआइटी की जांच में यह भी सामने आया था कि एक मुकदमे में पूर्व सांसद मु. दाऊद का नाम गलत लिखाया गया था।
शादी की फुटेज को बनाया था आधार
दो मुकदमों में नामजद आरोपित कलीम का नाम एफआइआर से निकालने के लिए एक वीडियो फुटेज को आधार बनाया गया था। एसआइटी की जांच में सामने आया कि जानकीपुरम क्षेत्र में आयोजित जिस शादी समारोह की फुटेज को आधार बनाया गया था, वह समारोह घटना से एक दिन पहले की थी।