लखनऊ विश्वविद्यालय में नए सिरे से तय होगा PhD परीक्षकों का मानदेय, गठित हुई कमेटी
लखनऊ विश्वविद्यालय विषय विशेषज्ञों से लेकर पीएचडी परीक्षकों तक का मानदेय नए सिरे से तय करेगा। इसके लिए कुलपति के आदेश पर कुलसचिव डॉ. विनोद कुमार सिंह ने चार सदस्यीय कमेटी गठित कर दी है। 15 दिन में इस कमेटी के सुझाव आएंगे।
लखनऊ, जेएनएन। लखनऊ विश्वविद्यालय विषय विशेषज्ञों से लेकर पीएचडी परीक्षकों तक का मानदेय नए सिरे से तय करेगा। इसके लिए कुलपति के आदेश पर कुलसचिव डॉ. विनोद कुमार सिंह ने चार सदस्यीय कमेटी गठित कर दी है। कमेटी को 15 दिन में अपने स्पष्ट सुझाव देगी, जिसके आधार पर मानदेय की दरें तय की जाएंगी।
लविवि में कई नियमित एवं स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रम संचालित हैं। इन पाठ्यक्रमों से संबंधित कई प्रकार की कक्षाएं, विशिष्ट लेक्चर के लिए विषय विशेषज्ञ, विजिटिंग लेक्चर आदि के लिए बाहर से शिक्षक आते हैं। इसके अलावा पीएचडी थीसिस के लिए परीक्षक जाते हैं। या फिर विशेष व्याख्यान के लिए प्रोफेसरों को आमंत्रित किया जाता है। लेकिन उन्हें जो मानदेय दिया जाता है, वह काफी कम है। यही नहीं, पीएचडी थीसिस करने के लिए बाहर जाने वाले परीक्षकों को करीब 900 रुपये दिए जाते हैं। जबकि अन्य विश्वविद्यालयों में यह दरें 2000 रुपये के आसपास हैं। इसलिए तय हुआ है कि मानदेय की दरों का फिर से निर्धारण किया जाए।
ये हैं कमेटी के सदस्य
प्रो. नवीन खरे, रसायन विज्ञान विभाग, लविवि प्रो. मनोज कुमार अग्रवाल, अर्थशास्त्र विभाग, लविवि प्रो. राकेश कुमार सिंह, विधि विभाग, लविवि उप कुलसचिव लेखा, लविविइन पर देने होंगे सुझाव
विभिन्न स्ववित्त पोषित पाठ्यक्रमों से सम्बद्ध शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के मानदेय
लखनऊ विश्वविद्यालय के रसायन विभाग के प्रो नवीन खरे ने बताया कि अभी सेल्फ फाइनेंस में प्रति लेक्चर पढ़ाने वाले शिक्षक हों या पीएचडी थीसिस की जांच करने वाले परीक्षक, इनका मानदेय अन्य विश्वविद्यालयों की अपेक्षा कम है। कुलपति ने कमेटी बनाकर सुझाव मांगे हैं। जल्द ही कमेटी की बैठक कर नई दरों पर चर्चा की जाएगी।