कोरोना से अनाथ हुए व‍िद्यार्थ‍ियों की पढ़ाई का खर्च उठाएगा Lucknow University, कुलपति व शिक्षक करेंगे मदद

लखनऊ विश्वविद्यालय में शुक्रवार को कार्य समिति की बैठक आयोजित हुई। अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. पूनम टंडन ने बताया कि विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले ऐसे 70 विद्यार्थी हैं जिनके माता या पिता अथवा दोनों का निधन कोरोना से हो गया है।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Sat, 12 Jun 2021 10:19 AM (IST) Updated:Sat, 12 Jun 2021 10:19 AM (IST)
कोरोना से अनाथ हुए व‍िद्यार्थ‍ियों की पढ़ाई का खर्च उठाएगा Lucknow University, कुलपति व शिक्षक करेंगे मदद
विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (लूटा) ने चार नए डीन बनाए जाने के प्रस्ताव पास किए जाने का विरोध क‍िया।

लखनऊ, जेएनएन। लखनऊ विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले वे छात्र-छात्रा, जिनके माता या पिता अथवा दोनों लोगों का कोरोना से निधन हो गया है, उनकी पढ़ाई का खर्च कुलपति व शिक्षक उठाएंगे। इसके तहत कुलपति ने ऐसे एक छात्र का खर्च उठाने की घोषणा शुक्रवार को कार्य परिषद की बैठक में करते हुए अन्य शिक्षकों से भी आह्वान किया। इसी तरह कुलसचिव, चीफ प्रॉक्टर, अधिष्ठाता छात्र कल्याण ने भी एक-एक ऐसे छात्र का खर्च वहन करने पर सहमति जताई।

कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय की अध्यक्षता में कार्य परिषद की बैठक हुई। अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. पूनम टंडन ने बताया कि विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले ऐसे 70 विद्यार्थी हैं, जिनके माता या पिता अथवा दोनों का निधन कोरोना से हो गया है। कार्य परिषद की बैठक में  जिन शिक्षकों अथवा शिक्षणेत्तर कर्मचारियों का कोविड-19 के कारण निधन हुआ, उनके आश्रित को शासकीय नियमों के अधीन नियुक्ति की संस्तुति की गई। विश्विद्यालय के परास्नातक के आर्डिनेंस को भी मंजूरी दे दी गई है। इसके अलावा विश्विद्यालय के नए परिसर में सत्र 2021-22 से फार्मेसी संस्थान खोलने का प्रस्ताव भी मंजूर कर लिया गया। 

चार नए डीन की नियुक्ति पर लूटा ने किया विरोध

विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (लूटा) ने कार्य परिषद में चार नए डीन बनाए जाने का प्रस्ताव पास किए जाने का विरोध किया है। अध्यक्ष डा. विनीत वर्मा और महामंत्री डा. राजेंद्र कुमार वर्मा का कहना है कि विश्वविद्यालय एक्ट की जिस  धारा 49-c  के तहत नए डीन के पद सृजन की बात की जा रही है, उसने कुलपति अधिकारी की नियुक्ति कर सकते हैं। डीन की नहीं। इन पदों से विश्वविद्यालय एक्ट में वर्णित विभागाध्यक्ष एवं संकायाध्यक्ष के अधिकार व दायित्व का अतिक्रमण होगा। साथ ही उनकी शक्तियां इन पदों के माध्यम से कुलपति के पास केंद्रित हो जाएंगी। अब इसके खिलाफ प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री से शिकायत की जाएगी। 

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