लखनऊ विश्वविद्यालय PG छात्रों को सिखाएगा रत्नों की पहचान का हुनर, एक सेकेंड में कर सकेंगे असली-नकली में अंतर
Lucknow University के भू-विज्ञान विभाग ने एमएससी तीसरे सेमेस्टर के लिए तैयार किया वैल्यू एडेड कोर्स। फरवरी के पहले सप्ताह से इसकी पढ़ाई शुरू हो जाएगी। च्वाइस बेस क्रेडिट सिस्टम के तहत तैयार यह कोर्स इसमें हैं 40 सीटें।
लखनऊ[अखिल सक्सेना]। लखनऊ विश्वविद्यालय में अब एमए और एमकाम में पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं भी असली-नकली रत्नों की पहचान के तरीके सीख सकेंगे। इसके लिए विश्वविद्यालय के भू-विज्ञान विभाग ने एमएससी तीसरे सेमेस्टर के लिए यह कोर्स तैयार किया है। च्वाइस बेस क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) के तहत तैयार यह कोर्स एमएससी के साथ-साथ एमए और एमकाम के छात्र भी पढ़ सकेंगे। इसमें 40 सीटें हैं। फरवरी के पहले सप्ताह से इसकी पढ़ाई शुरू हो जाएगी। विभाग के शिक्षकों के मुताबिक, इसमें छात्रों को रत्नों की पहचान, गृहों के हिसाब से कौन सा रत्न पहनने से लेकर रत्नों के प्रकार भी बताए जाएंगे।
वर्ष 2015 में यूजीसी ने लविवि के भू-विज्ञान विभाग को बैचलर आफ वोकेशनल इन जेमोलाजी (रत्न विज्ञान) कोर्स शुरू करने की मंजूरी दी थी। स्नातक स्तर पर 25 सीटों के कोर्स में डिप्लोमा और डिग्री दोनों का प्राविधान किया गया था। रत्न विज्ञान कोर्स के डॉयरेक्टर प्रो. विभूति राय ने बताया कि इस कोर्स को सीबीसीएस के तहत पीजी के लिए भी तैयार कर लिया गया है।
खास बात यह है कि अभी तक सिर्फ स्नातक में साइंस के छात्र-छात्राएं इसे पढ़ते थे। अब पीजी में किसी भी फैकल्टी के विद्यार्थी भी इस कोर्स की पढ़ाई कर सकेंगे। यह वैल्यू एडेड कोर्स भू विज्ञान विभाग में शुरू होगा। यह इलेक्टिव पेपर है।
हर रत्न की बारीक सीख सकेंगे: प्रो. राय बताते हैं कि बाजार में इस समय बहुत से नकली रत्न भी बिक रहे हैं, जिनकी पहचान करना बहुत मुश्किल है। इस कोर्स में विशेषज्ञ इसकी हीरा, पन्ना, पुखराज, नीलम, रूबी जैस प्रमुख रत्नों को परखने के गुण सिखाएंगे। यह छात्र-छात्राओं के लिए रोजगार की दृष्टि से भी लाभकारी होगा। भू-विज्ञान के हेड प्रो. अजय मिश्रा का कहना है कि पीजी छात्र इसे इलेक्टिव पेपर के रूप में पढ़ सकते हैं।