Lucknow University: लविवि में एमबीए और बीटेक बना विदेशी छात्रों की पहली पसंद, श्रीलंका तो कोई इंडोनेशिया से
Lucknow University लविवि में पिछले तीन साल में सबसे ज्यादा विदेशी छात्रों ने लिया दाखिला। 135 छात्र-छात्राओं ने ऑनलाइन दाखिले लिए। इनमें से 67 ने कैंपस में उपस्थिति भी दर्ज करा दी है। विदेशी छात्र-छात्राओं को रहने के लिए नरेंद्र देव हास्टल में सुविधा मिलेगी।
लखनऊ, जेएनएन। Lucknow University: लखनऊ विश्वविद्यालय (लविवि) में संचालित एमबीए और बीटेक कोर्स विदेशी छात्रों की पहली पसंद बन गया है। इस सत्र में 135 छात्र-छात्राओं ने आनलाइन दाखिले लिए। इनमें से 67 ने कैंपस में उपस्थिति भी दर्ज करा दी है। शिक्षकों का कहना है कि 67 में करीब 20 छात्र एमबीए और नौ छात्र बीटेक के हैं।
दरअसल, लविवि में हर साल देश भर के छात्र-छात्राएं प्रवेश के लिए आते हैं। लविवि में इंटरनेशनल स्टूडेंट्स एडवाजर सेंटर के प्रोफेसर आरिफ अय्यूबी बताते हैं कि इस बार श्रीलंका, बांग्लादेश, नामीबिया, नेपाल, मॉरिशस, इंडोनेशिया, ताजिकिस्तान, रशिया, केन्या, इंडोनेशिया से छात्रों ने प्रवेश लिया है। सबसे ज्यादा एमबीए, बीटेक में विदेशी छात्रों की रुचि बढ़ी है। रेनेबल एनर्जी में एमएससी और पीएचडी, बीसीए के साथ एमए इन पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में प्रवेश लेने वाले कई विदेशी छात्र शामिल हैं।
तीन साल में बढ़े छात्र: प्रो. अय्यूबी के मुताबिक, वर्ष 2016 में मात्र आठ विदेशी छात्रों ने लविवि में प्रवेश लिया था। उसके बाद से संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। वर्ष 2018-19 में 32, वर्ष 2019-20 में 55 और इस बार 135 छात्र-छात्राओं ने आनलाइन प्रवेश प्रक्रिया पूरी की। सबसे ज्यादा विदेशी छात्र अफगानिस्तान से आए हैं। हालांकि कोविड की वजह से कई देशों की हवाई सेवाएं शुरू न होने की वजह से ईरान, मारिशस सहित कई देशों से छात्र लखनऊ विश्वविद्यालय में नहीं पहुंच पाए हैं।
नरेंद्र देव हास्टल में मिलेगी रहने की सुविधा : लविवि में विदेशी छात्र-छात्राओं को रहने के लिए अभी बलरामपुर हास्टल है। यहां करीब 35 छात्र रहते हैं। बाकी छात्रों को ह्यूमन रिसोर्स डेवलपमेंट सेंटर (एचआरडीसी) के गेस्टहाउस में रहने की सुविधा दी गई है। अधिष्ठाता छात्र कल्याण (डीएसडब्ल्यू) प्रो. पूनम टंडन ने बताया कि आचार्य नरेंद्र देव इंटरनेशनल हास्टल को ठीक कराया जा रहा है। करीब एक महीने में हास्टल सभी सुविधाओं से लैस हो जाएगा। इसके बाद सभी विदेशी छात्रों को यहां शिफ्ट कर दिया जाएगा।