लखनऊ विश्वविद्यालय : डिग्री कॉलेजों के शिक्षकों ने शुरू किया विरोध प्रदर्शन, जानिए क्या हैं मांगे

श्री जय नारायण मिश्र महाविद्यालय चारबाग सहित लखनऊ व अन्य चार जिलों के महाविद्यालयों के शिक्षकों ने काला फीता बांध कर विरोध किया। सरकार की ओर से अभी तक इन मांगों को लेकर कोई निर्णय न लिए जाने से शिक्षक नाराज हैं।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Thu, 09 Dec 2021 11:57 AM (IST) Updated:Thu, 09 Dec 2021 11:57 AM (IST)
लखनऊ विश्वविद्यालय : डिग्री कॉलेजों के शिक्षकों ने शुरू किया विरोध प्रदर्शन, जानिए क्या हैं मांगे
लखनऊ में डिग्री कालेजों के शिक्षकों का आंदोलन शुरू।

लखनऊ, जागरण  संवाददाता। पुरानी पेंशन बहाली, प्रोफेसर पदनाम के शासनादेश में संशोधन और अधिवर्षता आयु 65 वर्ष सहित विभिन्न मांगों को लेकर महाविद्यालय के शिक्षकों का आंदोलन गुरुवार से शुरू हो गया। श्री जय नारायण मिश्र महाविद्यालय चारबाग सहित लखनऊ व अन्य चार जिलों के महाविद्यालयों के शिक्षकों ने काला फीता बांध कर विरोध किया।

लखनऊ विश्वविद्यालय सहयुक्त महाविद्यालय शिक्षक संघ (लुआक्टा) महाविद्यालयों के शिक्षक काफी समय से पुरानी पेंशन की बहाली, अधिवर्षता आयु 65 वर्ष करने, अवकाश कटौती के लिए मनमानी तरह से जारी शासनादेश को वापस लेने, राज्य कर्मचारियों की भांति चिकित्सा प्रतिपूर्ति का लाभ दिए जाने, पीएचडी इंक्रीमेंट का लाभ और स्ववित्तपोषित महाविद्यालयों को अनुदान सूची पर लेने की मांग कर रहा है। लेकिन सरकार की ओर से अभी तक इन मांगों को लेकर कोई निर्णय न लिए जाने से शिक्षक नाराज हैं।

कक्षाओं के बाहर शिक्षकों का विरोध : श्री जय नारायण मिश्र पीजी कालेज में सुबह 11.15 बजे शिक्षक कक्षाओं के बाहर आ गए। लुआक्टा अध्यक्ष डा. मनोज पांडेय और महामंत्री डा. अंशु केडिया के नेतृत्व में शिक्षकों ने काला फीता बांध कर विरोध दर्ज कराया। लखनऊ विश्वविद्यालय सहयुक्त महाविद्यालय शिक्षक संघ (लुआक्टा) अध्यक्ष डा. मनोज पांडेय और महामंत्री डा. अंशू केडिया का कहना है कि शिक्षकों की मांगों को लेकर 11 दिसंबर तक कालाफीता बांध कर विरोध किया जाएगा। इस आंदोलन में लखनऊ सहित सीतापुर, हरदोई, रायबरेली व लखीमपुर खीरी के महाविद्यालयों के शिक्षक भी शामिल हुए हैं।

मांगे नहीं मांनी गईं तो आगामी परीक्षाओं का बहिष्कार भी संभव : लुआक्टा अध्यक्ष का कहना है कि 13, 14 एवं 15 दिसंबर को काले फीते के साथ कार्य करते हुए आखिरी कक्षा के बाद शिक्षक महाविद्यालयों में सामूहिक रूप से 30 मिनट तक धरने पर बैठेंगे। यदि सरकार ने सकारात्मक कदम नहीं उठाया तो आगामी परीक्षाओं के बहिष्कार का भी निर्णय लिया जा सकता है। इसमें इंटरनल परीक्षाओं एवं असाइनमेंट अपलोड करने का भी बहिष्कार शामिल होगा।

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