लापरवाही बरतने पर लखनऊ पुलिस की अंतिम रिपोर्ट निरस्त, अदालत ने दिया अग्रिम विवेचना का आदेश

एक नाबालिग से अश्लील हकरत करने के मामले में दो-दो दफा विवेचना करने के बावजूद पीड़िता का अदालत में बयान दर्ज कराए बगैर अंतिम रिपोर्ट दाखिल करने पर पॉक्सो की विशेष अदालत ने सख्त रुख अख्तियार किया है। विशेष जज ने अंतिम रिपोर्ट निरस्त कर अग्रिम विवेचना का आदेश दिया।

By Vikas MishraEdited By: Publish:Sat, 18 Sep 2021 10:00 AM (IST) Updated:Sat, 18 Sep 2021 02:00 PM (IST)
लापरवाही बरतने पर लखनऊ पुलिस की अंतिम रिपोर्ट निरस्त, अदालत ने दिया अग्रिम विवेचना का आदेश
28 अक्टूबर, 2018 को इस मामले की एफआईआर 15 वर्षीय पीड़िता की मां ने थाना पीजीआई में दर्ज कराई थी।

लखनऊ, विधि संवाददाता। एक नाबालिग से अश्लील हकरत करने के मामले में दो-दो दफा विवेचना करने के बावजूद पीड़िता का अदालत में बयान दर्ज कराए बगैर अंतिम रिपोर्ट दाखिल करने पर पॉक्सो की विशेष अदालत ने सख्त रुख अख्तियार किया है। विशेष जज अरविन्द मिश्र ने अंतिम रिपोर्ट निरस्त करते हुए अपने आदेश में उठाए गए बिन्दूओं पर अग्रिम विवेचना का आदेश दिया है। साथ ही इस मामले की प्रथम विवेचक तत्कालीन सीओ कैंट रहीं तनु उपाध्याय, द्वितीय विवेचक तत्कालीन सीओ कैंट रहीं डा. वीनू सिंह तथा पर्यवेक्षकीय अधिकारी रहे तत्कालीन एसपी उत्तरी, सुकीर्ति माधव द्वारा की गई लापरवाही के संदर्भ में आवश्यक कार्यवाही के लिए पुलिस कमिश्नर को पत्र भी भेजा है। उन्होंने इसकी एक प्रति पुलिस महानिदेशक को भी भेजने का आदेश दिया है। 

विशेष जज ने अपने विस्तृत में आदेश में कहा है कि इस मामले में कानूनन पीड़िता का अदालत में बयान दर्ज कराना बाध्यकारी था। लेकिन, विवेचक ने पीड़िता का सीआरपीसी की धारा 164 के तहत बयान दर्ज नहीं कराया। जबकि एससी-एसटी एक्ट का भी होने के कारण इस मामले की विवेचना पुलिस उपाधीक्षक स्तर के अधिकारी द्वारा की गई। जिसके संदर्भ में यह माना जाता है कि उन्हें कानून की अधिक जानकारी है। यह भी महत्वपूर्ण तथ्य है कि इस मामले का पर्यवेक्षण तत्कालीन पुलिस अधीक्षक नगर उत्तरी ने किया। उन्होंने प्रथम विवेचक द्वारा भेजे गए अंतिम रिपोर्ट पर आपत्ति जताते हुए अग्रिम विवेचना का निर्देश दिया था। यह कहते हुए कि शपथपत्र के आधार पर विवेचना को निस्तारित करने का औचित्य नहीं है।

लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण यह है कि उन्होंने भी इस तथ्य को नजरअंदाज किया कि प्रथम विवेचक ने पीड़िता का अदालत में बयान दर्ज नहीं कराया है। ऐसे में प्रतीत होता है कि उन्होंने सरसरी तौर पर पर्यवेक्षण किया। विशेष जज ने हैरानी जताते हुए अपने आदेश में कहा है कि द्वितीय विवेचक ने भी अग्रिम विवेचना के दौरान पीड़िता का अदालत में बयान दर्ज नहीं कराया। बल्कि महज खानापूर्ति करते हुए गवाहों के शपथपत्र के आधार पर अंतिम आख्या प्रेषित कर दी। और दूसरी बार भी पुलिस अधीक्षक उत्तरी ने इस तथ्य को नजरअंदाज किया। यह दर्शाता है कि ऐसा भूलवश नहीं हुआ है। बल्कि इन पुलिस कर्मचारियों द्वारा अपने दायित्वों का सम्यक निर्वहन नहीं किया गया। क्योंकि तीन-तीन वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों द्वारा एक महत्वपूर्ण बिन्दू को नजरअंदाज करना भूल नहीं है। बल्कि उनके द्वारा की जा रही लापरवाही प्रदर्शित करता है। 28 अक्टूबर, 2018 को इस मामले की एफआईआर 15 वर्षीय पीड़िता की मां ने थाना पीजीआई में दर्ज कराई थी। 

लाल खून का काला धंधा करने के मामले में अभियुक्तों को भेजा गया जेल: लाल खून का काला धंधा करने के मामले में गिरफ्तार अभियुक्त अभय सिंह व अभिषेक पाठक को विशेष अदालत ने 30 सितंबर तक के लिए न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है। शुक्रवार को विशेष जज मोहम्मद गजाली की अदालत में पेश कर थाना सुशांत गोल्फ सिटी की पुलिस ने अभियुक्तों का न्यायिक रिमांड हासिल किया। बीते गुरुवार को अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया था।

इनके पास से 100 यूनिट पैक्ड रेड ब्लड सेल्स, 12 अदद हरदेव सिंह सरन ब्लड बैंक लिंक रोड मनसा, चार अदद फतेहाबाद मंगलम ब्लड सेंटर, दो अदद रक्तदान शिविर बैनर, एक अदद इशू फार्म फॅार इण्टर ब्लड बैंक, एक अदद दाताराम ब्लड सेंटर मोहिन्दरगढ़ हरियाणा व तीन अदद ओपी चौधरी ब्लड बैंक का कुटरचित प्रपत्र तथा एक अदद फोर्ड इकोस्पोर्ट कार की भी बरामदगी हुई थी। इन अभियुक्तों पर मिलवाटी ब्लड की तस्करी करने व अधिक कीमत पर प्रतिष्ठित अस्पतालों में सप्लाई करने का इल्जाम है। इनके खिलाफ निरीक्षक दिलीप कुमार तिवारी ने धोखाधड़ी व कूटरचना आदि की गंभीर धाराओं के साथ ही औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम के तहत भी एफआईआर दर्ज कराई थी।

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