Lucknow Nagar Nigam मतलब सिर्फ हंगामा, CM योगी आदित्यनाथ भी जता चुके हैं नाराजगी; जानें कब -कब हुए हंगामें
Lucknow Nagar Nigam Sadan नगर निगम सदन पानी सड़क सफाई से जुड़े मुद्दे गायब। निजी कारणों से कुछ पार्षद सदन का माहौल खराब करते हैं। पार्षद महापौर अफसरों का पक्ष लेने के लिए बंटे दिखे और शोर-शराबा होता रहा।
लखनऊ [अजय श्रीवास्तव]। Lucknow Nagar Nigam: नगर निगम का सदन नीतिगत निर्णयों पर मुहर लगाने और जनहित के निर्णय जाने के लिए बुलाया जाता है, लेकिन सदन में पानी, सड़क, सफाई से जुड़े मुद्दे गायब रहते हैं। कोई जमीन पर कब्जे की शिकायत करता है तो कोई ठेकेदार के भुगतान के लिए परेशान दिखता है।
रविवार को भी पुनरीक्षित बजट के लिए आयोजित सदन हंगामे की भेंट चढ़ गया। ठेकेदारों के भुगतान को लेकर कुछ पार्षद एक जुट रहे तो कुछ निजी कारणों से दर्ज मुकदमे को ही मुद्दा बनाने में लगे थे। पार्षद महापौर अफसरों का पक्ष लेने के लिए बंटे दिखे और शोर-शराबा होता रहा।
मुख्यमंत्री भी जता चुके हैं नाराजगी: करीब डेढ़ साल पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ से मिलने सभी पार्षद गए थे तो मुख्यमंत्री ने भी कहा था कि सदन में जनहित के मुद्दों पर चर्चा हो न की हंगामा होना चाहिए।
कब -कब हुए सदन में हंगामें
11 अगस्त 2018 : नगर निगम सदन का हंगामा सड़क तक आ गया था। सदन के बाद सीढ़ी से उतर रहे तत्कालीन जोनल अधिकारी-एक मुनेंद्र सिंह राठौर को भाजपा पार्षदों ने पीट दिया था।
20 मई 2000 : रामप्रकाश गुप्त सरकार में तत्कालीन मुख्य नगर अधिकारी सीपी मिश्र के खिलाफ पार्षदों को मुख्यमंत्री आवास तक मार्च करना पड़ गया था। सदन में माइक सिस्टम खराब होने पर एक पार्षद ने एक अधिकारी से अभद्रता के साथ मारपीट की थी। एक अधिकारी ने तत्कालीन मेयर डा.एससी राय पर पार्षदों को संरक्षण देने का आरोप लगा दिया था। तत्कालीन मुख्य नगर अधिकारी सीपी मिश्र पार्षदों पर कोई काररवाई न होने से नाराज होकर अधिकारियों के संग सदन से बाहर चले गए थे। नगर निगम मुख्यालय छावनी बन गया था। तत्कालीन मुख्य नगर अधिकारी सीपी मिश्र व उप मुख्य नगर अधिकारी रेखा गुप्ता का तबादला कर दिया गया था।
29 जनवरी 2020 : पुनरीक्षित बजट भाषण पढ़ रहे कार्यकारिणी समिति उपाध्यक्ष रजनीश गुप्ता से कांग्रेस के पार्षद ने प्रति छीनकर फाड़ दिया था। महापौर संयुक्ता भाटिया कुर्सी से गिरने से बच गई थीं और नाराज महापौर सदन से चली गईं।
19 नवंबर 2018 : सदन में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के पार्षदों ने बजट की प्रतियां फाड़कर हवा में उछाल दी। हंगामे के दौरान मेयर की मेज पर रखे शीशे के ग्लास भी टुकड़े-टुकड़े हो गए।
15 मई 2018 सामान्य सदन : जनहित के मुद्दे छोड़कर पार्षद आपस में ही भिड़ गए थे। मेयर को भी कहना पड़ा कि जितना चिल्लाना है, चिल्ला लीजिए वह शांत बैठी हैं। सत्ता और विपक्ष पार्षद आमने-सामने आ गए। 30 जनवरी 2020 : नगर निगम के इतिहास में शायद यह पहला मौका था, जब हंगामा करने के बाद विपक्षी पार्षद बाहर चले गए और महापौर संयुक्ता भाटिया को भाजपा पार्षदों की मौजूदगी में सदन को चलाना पड़ा। 25 फरवरी 2019 : बजट 2019-20 को पास करने के लिए बुलाई गई नगर निगम कार्यकारिणी समिति की बैठक में शुरू हुआ विवाद दोपहर तीन बजे से हुए सदन तक गूंजा था। भवन कर पत्रावलियों का निस्तारण होने का आरोप लगाते हुए पार्षद विजय गुप्ता ने तत्कालीन जोनल अधिकारी छह और मुलायम सिंह यादव की समधन अम्बी बिष्ट को जोन छह की महारानी कह दिया। जोनल अधिकारी ने भी उसी लहजे में जवाब दिया कि कहा, 'इज्जत से बात करिए, हटवा दीजिए मुझे। जोनल अधिकारी को हटाने की मांग पर पार्षद विजय गुप्ता के साथ भाजपा पार्षद धरने पर बैठ गए और मेयर के खिलाफ भी नाराजगी जताने लगे। हंगामे के बीच मेयरसदन से अपने कमरे में चली गईं और सदन की कार्यवाही ठप हो गई।