हाउस टैक्स वसूली में पिछड़ा लखनऊ नगर निगम, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तलब की रिपोर्ट
नगर निगम सीमा में सभी भवनों को कर के दायरे में न लाए जाने के मामले में मुख्यमंत्री दफ्तर ने रिपोर्ट तलब की है। दैनिक जागरण ने छह सितंबर को नगर निगम में दर्ज नहीं 44862 भवन खबर प्रकाशित की थी। इस मामले की जांच भी होगी।
लखनऊ, जागरण संवाददाता। नगर निगम सीमा में सभी भवनों को कर के दायरे में न लाए जाने के मामले में मुख्यमंत्री दफ्तर ने रिपोर्ट तलब की है। दैनिक जागरण ने छह सितंबर को 'नगर निगम में दर्ज नहीं 44862 भवनÓ खबर प्रकाशित की थी। इस खबर पर मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव संजय प्रसाद ने अपर मुख्य सचिव इस मामले की जांच कराने को पत्र लिखा है। नगर निगम के सभी जोन में चल रहे जीआई सर्वे में (जियोग्राफिक इंफॉरमेशन सिस्टम) 44,862 संपत्तियां (आवासीय व अनावासीय भवन) ऐसी पाई गई थीं, जो नगर निगम के अभिलेखों में दर्ज नहीं है। इनमे कर भी वसूला नहीं जा रहा है। यह सर्वे नगर निगम के कुल 110 वार्डों में से 88 वार्डों में कराया गया था।
वैसे नगर निगम के अभिलेखों में 5,75,238 संपत्तियां ही दर्ज है, जबकि जीआई सर्वे में 88 वार्डों में ही 6,20,100 संपत्तियों का पता चला है। इस हिसाब से 88 वार्डों में 44,862 संपत्तियों का कर निर्धारण नहीं किया गया था, जबकि 22 वार्डों की संपत्तियों की गणना अभी की जानी है। नगर निगम में जोनल अधिकारियों से लेकर राजस्व निरीक्षकों की लापरवाही से ही शत प्रतिशत भवनों को नगर निगम कर के दायरे में नहीं पाया है। सालों से एक सीट पर जमे निरीक्षकों के लेकर कथित तौर पर कर निर्धारण के काम में दखल देने वाले लिपिक और यहां तक की चपरासी भी इस खेल में शामिल हैं, उसी भवन का कर निर्धारण करते हैं, जहां से कुछ ऊपरी कमाई होती है। वार्षिक किराया मूल्य (एआरवी) को मनमाने तरह से बढ़ाना है और कम करने के नाम पर मनमाना चढ़ावा मांगा जाता है।
इसी तरह भवनों को कर के दायरे में न लाकर वहां से खुद की कमाई करने का भी खेल चल रहा है। कुछ अधिकारियों के संरक्षण में ऐसे कर्मचारियों पर कोई कार्रवाई भी नहीं हो पाती है। यही कारण है कि भवन कर निर्धारण के खेल में हटाए गए कर अधीक्षक से लेकर निरीक्षक की जांच रिपोर्ट ही कुछ अधिकारियों ने दबा रखी है। कुछ समय पहले ट्रांसपोर्टनगर में भवन कर में बड़े पैमाने पर घपला सामने आया था। दैनिक जागरण ने ही इस मामले को उजागर किया था। तब भी अधिकारी मामले को दबाने में जुट गए थे लेकिन मामले की गंभीरता को देखते हुए नगर आयुक्त अजय कुमार द्विवेदी ने जांच के आदेश दिए थे। जांच प्रभावित न हो, इसलिए उन्होंने कर अधीक्षक सुनील त्रिपाठी और राजस्व निरीक्षक राहुल यादव समेत अन्य को जोन आठ से हटाकर जोन सात में भेज दिया था लेकिन अपने प्रभाव से कर अधीक्षक फिर से जोन आठ की उसी सीट पर बैठ गए, जहां से उन्हें हटाया गया था। ट्रांसपोर्टनगर का काम भी पा गए।