Metro कोचों की धुलाई के लिए लगेगी फुल ऑटोमेटिक मशीन, पानी भी होगा रिफाइन
लखनऊ मेट्रो में भी अब ऑटोमेटिक मशीन मशीन से होगी कोच की धुलाई बचे पानी को दोबारा फिर रिफाइन करके इस्तेमाल करेगा। उसके बाद पानी को डिपो में बनाए हुए बगीचे में छोड़ा जाएगा। चार कोचों को धुलने के बाद पानी को किया जाएगा रिफाइन।
लखनऊ, जेएनएन। मेट्रो जिस पानी से मेट्रो कोचों की धुलाई करेगा, उसे दोबारा फिर रिफाइन करके इस्तेमाल करेगा। उसके बाद पानी को डिपो में बनाए हुए बगीचे में छोड़ा जाएगा। लखनऊ मेट्रो की तर्ज पर कानपुर व आगरा मेट्रो डिपो में भी फुल ऑटोमेटिक ट्रेन वाशिंग प्लांट लगाने के लिए कवायद तेज कर दी गई है। यहां मेट्रो ट्रैक पर खड़ी हो जाएगी और मशीनें पूरी गाड़ी को मिनटों में धुलाई कर देंगे। यही नहीं कोच के दरवाजे और भीतर की सफाई भी पूरी ऑटोमेटिक ही होगी। बीस से पच्चीस मिनट में चार से तीन से कोच पूरी तरह साफ कर दिए जाएंगे। यहां से निकलने वाले पानी को मेट्रो सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट यानी एसटीपी के जरिए रिफाइन करेगा और दोबारा इस्तेमाल में लाएगा। यह प्रणली लखनऊ में पूृरी तरह इस्तेमाल हो रही है।
यूपीएमआरसी के प्रबंध निदेशक कुमार केशव ने बताया कि सुबह छह बजे निकलने वाली मेट्रो रात में पूरी तरह से सफाई करके ही निकाली जाती है। लखनऊ की तर्ज पर कानपुर व आगरा में यही सिस्टम पूरी तरह से तैयार किया जा रहा है। वर्ष 2017 से अब तक कुछ मशीनों में अपडेट हुआ है। इसलिए बिल्कुल हाईटेक वशेबुल मशीनें लगेंगी। मेट्रो को पिट (दोनों पटरियों के बीच में युवक के खड़े रहने की जगह) पर खड़ा करके मशीनें नीचे से भी सफाई करेंगी। यहां कैमरों से पूरी मानीटरिंग होगी। ट्रैक पर हाई जूम वाले कैमरे लगेंगे। जरूरत पड़ने पर कोचों का रखरखाव करने वाले कर्मचारी भी जा सकेंगे। यही नहीं धुलाई के बाद कोचों को सूखाने के लिए मशीनों की मदद से सुखाया जाएगा।
रोड व रेल व्हीकल वाहन करेंगे जमीन व एलीवेटेड पर काम
उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड यूपीएमआरसी ट्रैक पर ओवर हेड इलेक्ट्रिक वाॅयर और ट्रैक पर काम करने के लिए रोल कम रेल व्हीकल वाहन खरीदेगा। उद्देश्य होगा कि इसे सड़क पर भी जरूरत पड़ने पर चलाया जा सके और ट्रैक पर भी चलाया जा सका। लखनऊ मेट्रो में इसका प्रयोग किया जा रहा है।
यूपीएमआरसी एमडी कुमार केशव ने बताया कि हर डिपो के लिए फुल आटोमेटिक वाशिंग प्लांट अब जरूरी हो गया है। मेट्रो रात दस बजे से चलना बंद हो जाती है, इसके बाद रात में कोचों की सफाई व रखरखाव का काम शुरू होता है। आठ घंटे में सत्तर से अस्सी काेचों की नियमित सफाई होती है। इसी तरह कानुपर व आगरा में की जाएगी।