Tokyo Olympics 2020: लखनऊ के दिग्गज खिलाड़ी बोले-हॉकी के सुनहरे भविष्य की नींव रखेगा यह पदक, जीत से टीम इंडिया के सपनों को मिले पंख

टीम इंडिया के गोलकीपर श्रीजेश ने आखिरी मिनट में जर्मनी के पेनाल्टी कार्नर को बेकार कर देश में हॉकी के सुनहरे भविष्य का रास्ता खोल दिया। जीत के साथ ही ओलंपिक में चालीस साल का पदक का सूखा भी खत्‍म हो गया।

By Rafiya NazEdited By: Publish:Thu, 05 Aug 2021 08:00 PM (IST) Updated:Thu, 05 Aug 2021 08:00 PM (IST)
Tokyo Olympics 2020:  लखनऊ के दिग्गज खिलाड़ी बोले-हॉकी के सुनहरे भविष्य की नींव रखेगा यह पदक, जीत से टीम इंडिया के सपनों को मिले पंख
सन 1983 विश्व कप क्रिकेट की तरह गेम चेंजर साबित हुई हॉकी क्रिकेट टीम की जीत।

लखनऊ, जागरण संवाददाता। टीम इंडिया के गोलकीपर श्रीजेश ने आखिरी मिनट में जर्मनी के पेनाल्टी कार्नर को बेकार कर देश में हॉकी के सुनहरे भविष्य का रास्ता खोल दिया। जीत के साथ ही ओलंपिक में चालीस साल का पदक का सूखा तो खत्म हुआ ही, हॉकी की नई इबारत लिखने को प्रतिभाशाली खिलाडिय़ों का उत्साह बढ़ेगा।

साठ और सत्तर के दशक में देश की हॉकी का जादू पूरी दुनिया पर छाया था। जर्मन तानाशाह हिटलर भी ध्यानचंद के खेल के दीवाने थे। टीम इंडिया की धमक ऐसी थी कि ओलंपिक में विरोधी टीमें रजत पदक को ही सामने रखकर अपनी रणनीति बनाती थी। विरोधियों का पता था कि अगर टीम इंडिया सामने होगी तो सोना मिलने से रहा, मगर तेजी से बदलती हॉकी और तकनीक के दौर में भारतीय हॉकी पिछड़ती गई।

1980 मास्को ओलंपिक आखिरी मुकाम था, जहां भारत को पदक हाथ आया था। इसके बाद ऐसा भी दौर चला जब नाक आउट में भी पहुंचने के लाले पड़ गए। चालीस साल बाद टोक्यो में मनप्रीत की टीम ने कमाल कर दिया। शहर के दिग्गजों का कहना है कि 1983 में क्रिकेट विश्वकप में मिली अप्रत्याशित जीत से देश में क्रिकेट का माहौल बना था। बच्चा-बच्चा कपिल और गावस्कर बनने के सपने देखने लगा था। यही माहौल हॉकी को लेकर भी बनेगा। हॉकी को बस इसी तरह एक जीत की दरकार थी। अब आगे हॉकी इंडिया को तय करना होगा कि कैसे अधिक से अधिक प्रतिभाशाली युवाओं को आगे बढ़ाने काम किया जाए।

हॉकी इंडिया के चयनकर्ता और खेल निदेशक डा.आरपी सिह ने कहा कि वाकई बेमिसाल जीत। सुबह से ही टीवी खोलकर बैठ गया था। बच्चों ने दबाव में जिस तरह चैंपियन जर्मनी टीम के सामने खेल दिखाया वह टीम की तैयारियों और मानसिक मजबूती को दिखाता है। जीत से हॉकी के प्रति बच्चों का आकर्षण और बढ़ेगा। यूपी हॉकी और हॉकी इंडिया की ओर से टीम को बधाई। वापसी पर सभी खिलाडिय़ों का सम्मान किया जाएगा।

पूर्व ओलंपियन दानिश मुज्तबा ने कहा कि मेरे लिए वाकई बहुत भावुक पल था। मेरे पैदा होने के पहले भारत ने ओलंपिक में मेडल जीता था और आज मैंने अपनी आंखों से वह पल देखा। यह जीत वाकई आने वाले समय में भारत को एक बार फिर से हॉकी के शिखर पर ले जाने में सहायक सिद्ध होगी। मैंने पूरा मैच टीवी के सामने खड़े होकर देखा है। पूरी टीम को और देशवासियों को बहुत-बहुत बधाई।

पूर्व अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी रजनीश मिश्र ने बताया कि इससे बड़ी और कोई जीत नहीं हो सकती। हॉकी टीम ने केवल एक पदक ही नहीं दिया, देश में फिर से हॉकी का माहौल तैयार करने की नींव रख दी। अब हॉकी को आगे बढऩे से कोई रोक नहीं सकता। देश में लाखों प्रतिभाएं हैं। जिनको टोक्यो से युवा रोल मॉडल मिल गए हैं। यह वक्त जश्न मनाने का है।

पूर्व ओलंपियन सुजीत कुमार ने बताया कि

जर्मनी जैसी मजबूत टीम, जिसके पास ओलंपिक के कई पदक पहले से हों उसको इतने जबर्दस्त तरीके से हराना वाकई दिखाता है कि टीम बदल चुकी है। टीम इंडिया ने कमाल का खेल दिखाया। यह जीत अब देश में हॉकी की नर्सरी को और मजबूत करेगी। टीम को बस इसी तरह की बड़ी जीत की दरकार थी।

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