लखनऊ विकास प्राधिकरण अब स्वयं बसाएगा मोहान रोड योजना, पीपीपी का प्रस्ताव किया खारिज
वर्ष 2007 में मोहान रोड की योजना का अधिगृहण किया गया था और किसानों को करीब 650 करोड़ रुपए मुआवजा दिया जा चुका है। अगर काम की रफ्तार रही और शासन से हरी झंडी मिलती है तो नए साल से पहले लविप्रा अपने आवासीय भूखंड का पंजीकरण खोल देगा।
लखनऊ, जागरण संवाददाता। लखनऊ विकास प्राधिकरण अपनी पुरानी योजनाओं पर फिर से काम करेगा। इसके लिए नवनियुक्त उपाध्यक्ष अक्षय त्रिपाठी ने तेजी से काम शुरू कर दिया है। इसी क्रम में मोहान रोड की 765 एकड़ वाली योजना को बसाने जा रहा है। लविप्रा खुद वहां विकास कार्य करेगा और फिर गोमती नगर, बसंत कुंज की तर्ज पर विकसित करके आवासीय भूखंड, वाणिज्यिक भूखंड बेचेगा। योजना का पूरा प्रस्ताव बनाने के आदेश दिए हैं, जिससे आगामी बोर्ड मीटिंग में लाया जा सके। इससे पूर्व लविप्रा शासन को अवगत कराएगा और विश्वास में लेकर आगे काम करेगा।
वर्ष 2007 में मोहान रोड की योजना का अधिगृहण किया गया था और किसानों को करीब 650 करोड़ रुपए मुआवजा दिया जा चुका है। अगर काम की रफ्तार रही और शासन से हरी झंडी मिलती है तो नए साल से पहले लविप्रा अपने आवासीय भूखंड का पंजीकरण खोल देगा। लविप्रा उपाध्यक्ष अक्षय त्रिपाठी ने बताया कि पुरानी योजनाओं में जो बाधाएं आ रही हैं, उन्हें दूर करके शुरू करने की तैयारी है। उद्देश्य है कि लंबित व अन्य कारणों से फंसी टाउनशिप की योजनाओं को अमली जामा पहनाया जा सके। इस प्रोजेक्ट पर आने वाले खर्च को लविप्रा जुटाएगा।
नक्शे पर भूखंड बेचकर निर्धारित समय पर देगा भूखंड : लविप्रा मोहान रोड के आवासीय, वाणिज्यिक भूखंड से आने वाले पैसे से ही विकास कार्य कराएगा। शुरू में कुछ पैसा लगाने के बाद लविप्रा पंजीकरण खोलेगा और उससे आने वाले पैसे से चरणबद्ध तरीके से सेक्टर वाइज विकास कार्य कराएगा। यहां लविप्रा डेढ़ से दो साल में भूखंडों पर विकास कार्य कराकर कब्जा देगा। इस दौरान खरीददारों से पैसा भी लविप्रा के पास आ जाएगा।
पीपीपी का प्रस्ताव खारिज कराने का प्रयास : पब्लिक प्राइवेट पार्टनशिप पीपीपी पर मोहान रोड का काम ओमेक्स सिटी को दिया वर्ष 2019 में दिया गया था। ओमेक्स ने 16 सौ करोड़ से अधिक का काम मोहान रोड पर कराने थे। वहीं बिड में एल्डिको ने भी प्रतिभाग किया था। बाद में तत्कालीन उपाध्यक्ष पीएन सिंह ने पूरा प्रस्ताव बनाकर शासन की अनुमति के लिए फाइल भेजी थी, जो आज तक पीपीपी पर स्वीकृत होकर नहीं आयी। इससे प्रोजेक्ट अपनी निर्धारित समय से करीब 12 साल पीछे हो गया। अब काम शुरू करने की तैयारी है।