लखनऊ विकास प्राधिकरण के बाबुओं की आइडी हुई बंद, फंस गए आवंटियों के रिफंड और पेमेंट

लखनऊ विकास प्राधिकरण लविप्रा ने भ्रष्टाचार रोकने के लिए दो सौ बाबुओं के आसपास लागिन व आइडी बंद कर दी। इसके पीछे उद्देश्य था कि आइडी व लागिन बंद होने से भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगा लेकिन इससे वह आवंटी परेशान हो रहे हैं।

By Rafiya NazEdited By: Publish:Tue, 19 Oct 2021 02:00 PM (IST) Updated:Tue, 19 Oct 2021 06:07 PM (IST)
लखनऊ विकास प्राधिकरण के बाबुओं की आइडी हुई बंद, फंस गए आवंटियों के रिफंड और पेमेंट
एलडी में तेरह भूखंड घोटाले के कारण दो सौ बाबुओं की आइडी हुई बंद।

लखनऊ, जागरण संवाददाता। लखनऊ विकास प्राधिकरण लविप्रा ने भ्रष्टाचार रोकने के लिए दो सौ बाबुओं के आसपास लागिन व आइडी बंद कर दी। इसके पीछे उद्देश्य था कि आइडी व लागिन बंद होने से भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगा, लेकिन इससे वह आवंटी परेशान हो रहे हैं, जो अपार्टमेंट में फ्लैट लेने के बाद निरस्तीकरण करवा रहे हैं। ऐसे लोगों का पैसा लविप्रा वापस नहीं कर पा रहा हैं। क्योंकि संबंधित बाबू की लागिन व आइडी बंद है और पैसा वापस करने की प्रकिया बढ़ नहीं पा रही है। इससे लोग सचिव से लेकर योजना देख रहे अफसराें के चक्कर लगाने को विवश है। उधर लविप्रा द्वारा कोई वैकल्पिक व्यवस्था तक नहीं की गई है।

लविप्रा अफसर के मुताबिक गोमती नगर में हुए तेरह भूखंड घोटाले के बाद लविप्रा उपाध्यक्ष अक्षय त्रिपाठी की सहमति पर यह आइडी व लागिन बंद कर दी गई थी। अब योजना देख रहे बाबुओं का तर्क है कि इस व्यवस्था को पारदर्शी बनाने के लिए एक सेल पांच से छह सदस्यीय बना दी जाए। संबंधित बाबुओं को अलग अलग अपार्टमेंट देख रहे बाबु रिफंड की संस्तुति करके फाइल भेज दे, आगे की कार्रवाई सेल में बैठे बाबू कर दे। इससे पारदर्शिता बनी रहेगी और आवेदनकर्ता को परेशान नहीं होना पड़ेगा। यही नहीं सभी बाबुओं की आइडी व लागिन खोलने की जरूरत नहीं पड़ेगी, सिर्फ पांच से छह बाबुओं की आइडी खोलने से सारा काम हो जाएगा।

गोमती नगर, देवपुर पार, कानपुर रोड, जानकीपुरम सहित कई योजनाओं में फ्लैट: लविप्रा ने राजधानी के अधिकांश स्थानों पर अपने फ्लैट बनाए हैं। इनमें एक से दो फ्लैटों के निरस्तीकरण और लेने वालों की संख्या रहती है। आइडी व लागिन बंद हुए एक सप्ताह से अधिक हो गया है। निरस्तीकरण की कार्रवाई कराने वाले आवेदनकर्ता लविप्रा के चक्कर लगा रहे हैं। ऐसा लग रहा है कि बाबू जानबूझकर उनका पैसा आनलाइन ट्रांसफर नहीं कर रहे हैं। यह समस्या संबंधित योजना देख रहे बाबू ने अफसरों को बता चुके हैं लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ।

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