Lucknow Coronavirus News Update: भर्ती के लिए 12 घंटे अस्पतालों का चक्कर काटता रहा कोरोना मरीज
Lucknow Coronavirus News Update राजधानी के सरकारी अस्पताल फुल गंभीर मरीजों के इलाज में मुश्किल।
लखनऊ, जेएनएन। राजधानी में कोरोना मरीजों का रिकॉर्ड टूट रहा है। अफसर संक्रमण थामने में नाकाम साबित हो रहे हैं। ऐसे में इलाज की व्यवस्था भी चरमरा रही है। गंभीर मरीज 12 घंटे तक अस्पतालों में भर्ती के लिए एंबुलेंस से चक्कर काट रहे हैं। वहीं पॉजिटिव आने के बाद भी शहर के कई मरीज घर में पड़े कराह रहे हैं। उनकी शिफ्टिंंग अस्पतालों में नहीं हो सकी है।
देवरिया के अबूबकर निवासी 55 वर्षीय व्यक्ति को जुकाम-बुखार था। 13 जून को कोरोना की पुष्टि हुई। इस दौरान उनकी हालत बिगड़ने लगी। बुधवार को एंबुलेंस से उन्हें लखनऊ रेफर कर दिया गया। सुबह नौ बजे 108 एंबुलेंस लेकर मरीज को केजीएमयू पहुंची। यहां शाम सात बजे तक मरीज को भर्ती नही किया गया। एंबुलेंस भी घंटों फंसी रही। दूसरे मरीजों को रिसीव नहीं कर सकी। अफसरों को कई बार सूचना दी गई। मगर, नजरंदाज करते रहे। ऐसे नौ बजे के करीब मरीज ठाकुर गंज स्थित निजी मेंडिकल कॉलेज भेजा गया। इस दौरान 12 घंटे तक एंबुलेंस में मरीज पड़ा तड़पता रहा। केजीएमयू के प्रवक्ता डॉ. संदीप तिवारी के मुताबिक सभी बेड फुल हैं। मरीज को रेफर करने से पहले बेड की जानकारी ले ली जाए, ताकि उसको परेशान न होना पड़े।
पांच से दिन से घर में कोरोना का मरीज
शहर के एलडीए कॉलोनी निवासी 58 वर्षीय मरीज को 10 जून को कोरोना पॉजिटिव आया। कई बार सीएमओ कार्यालय को फोन करने पर मंगलवार को मरीज को हज हाउस ले जाया गया। वहां इलाज की व्यवस्था न होने पर दोबारा उसे घर छोड़ दिया गया। मरीज घर पर है। अभी तक अस्पताल में शिफ्ट नहीं किया जा सका है।
यहां फुल हो चुके हैं बेड
सीएमओ कार्यालय के मुताबिक पीजीआइ-केजीएमयू के बेड शाम को फुल हो गए। लोहिया संस्थान में भी तीन दिनों से बेड भरे हैं। इसके अलावा साढ़ामऊ, लोकबंधु अस्पताल के सभी बेड फुल हैं। बुधवार को मरीजों को प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में भेजा गया। ऐसे में गंभीर मरीजों को भर्ती के लिए मुश्किलों का सामना करना पड़ा।
एक और निजी अस्पताल में कोरोना का इलाज
राजधानी के एक और निजी अस्पताल को कोरोना इलाज की सहमति प्रदान की गई है। यह अस्पताल फैजाबाद रोड पर है। अभी तक कोरोना इलाज के लिए आइआइएम रोड स्थित एक निजी अस्पताल को अनुमति प्रदान की गई थी। वहीं पांच निजी मेडिकल काॅलेज में भी इलाज किया जा रहा है।