कैम्ब्रिज के मंच पर छाएगी लखनवी कविता, हास्य व्यंग्य कवि पंकज प्रसून करेंगे प्रतिभाग

शहर के हास्य व्यंग्य कवि पंकज प्रसून कैम्ब्रिज इंटरनेशनल पोयट्री सिम्पोजियम में करेंगे प्रतिभाग। कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी इंडिया सोसायटी द्वारा गणतंत्र दिवस के अवसर पर होगा आयोजन। यह कार्यक्रम कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के तमाम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर देखा जा सकेगा।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Mon, 18 Jan 2021 04:35 PM (IST) Updated:Mon, 18 Jan 2021 04:35 PM (IST)
कैम्ब्रिज के मंच पर छाएगी लखनवी कविता, हास्य व्यंग्य कवि पंकज प्रसून करेंगे प्रतिभाग
कार्यक्रम कोविड की वजह से 26 जनवरी को वर्चुअल किया जा रहा।

लखनऊ, [दुर्गा शर्मा]। कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के मंच पर लखनवी कविता छाएगी। शहर के हास्य व्यंग्य कवि पंकज प्रसून कैम्ब्रिज इंटरनेशनल पोयट्री सिम्पोजियम में प्रतिभाग करेंगे। कार्यक्रम कोविड की वजह से 26 जनवरी को वर्चुअल किया जा रहा। कार्यक्रम का संचालन कैम्ब्रिज के एशियन और मिडिल ईस्टर्न विभाग के प्रो. ऐशवर्ज कुमार करेंगे। कार्यक्रम में पोलैंड की कवयित्री एलिक्जा, इजराइल से लडमिला केबोतेरेब एवं ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफसर डॉ पद्मेश गुप्ता हिस्सा ले रहे हैं। कार्यक्रम के आयोजक कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी इंडिया सोसायटी के अध्यक्ष निशांत सक्सेना के अनुसार पंकज प्रसून का चयन उनके व्यंग्य और विज्ञान मिश्रित कविताओं के आधार पर किया गया है। वह इस सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। यह कार्यक्रम कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के तमाम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर देखा जा सकेगा।

जवाहर लाल नेहरू ने की थी स्थापना

कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय इंडिया सोसायटी की स्थापना देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने की थी। यह कैम्ब्रिज का सबसे बड़ा संगठन है जो भारत और कैम्ब्रिज के बीच सांस्कृतिक सेतु बनाने का कार्य कर रहा है। वेबसाइट (https://indiasoc.co.uk/) और फेसबुक पेज https://www.facebook.com/indiasoc पर कार्यक्रम को देख सकते हैं।

हिंदी कविता की जीत है

पंकज प्रसून इस अन्तराष्ट्रीय कार्यक्रम का हिस्सा बनकर उत्साहित हैं।उनका कहना है कि यह हिंदी कविता की जीत है। पंकज प्रसून बताते है कि 2009 में उन्होंने लखनऊ विश्व विद्यालय से' विश्व भाषा हिंदी-दशा व दिशा' पर एमफिल की थी तब उन्होंने उसमें कैम्ब्रिज में हिंदी पर लेख लिखा था, उन्होंने कभी सोचा ही नहीं था कि एक दिन वहीं से बुलावा आएगा।

पंकज प्रसून के बारे में

बैसवारे में जन्म, पिछले 15 सालों से लखनऊ में ही रह रहे हैं। वह और जाने-माने व्यंग्यकार और कवि हैं उनकी अब तक सात किताबें प्रकाशित हैं । वह ना सिर्फ संवेदना को जागृत करने वाली मार्मिक कविताएं लिखते हैं बल्कि समसामयिक राजनैतिक विषयों पर खूब चुटकियां भी लेते हैं कोविड काल में उनकी 'कोरोना शायरी भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई थी। पंकज प्रसून को उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान से दो बार उनकी दो किताबों के लिए सम्मानित किया जा चुका है। उनकी कई कविताएं सोशल मीडिया पर वायरल हुई हैं। उनकी कविता 'लड़कियां बड़ी लड़ाका होती हैं को अनुपम खेर ने टाइम्स स्क्वायर न्यूयॉर्क से पढ़ा था उसके बाद उन्होंने उनकी दूसरी कविता मां का बुना स्वेटर कभी छोटा नहीं होता को भी पढ़ा। वह अब तक लाल किला सहित तमाम प्रतिष्ठित कवि सम्मेलनों में कविता पढ़ चुके हैं।

उनको हाल ही में लखनऊ विश्वविद्यालय के शताब्दी वर्ष समारोह में सम्मानित हुए 50 पूर्व छात्रों में स्थान दिया था। लखनऊ विश्वविद्यालय के शताब्दी वर्ष पर उन्होंने व्यंग्य विज्ञान और कविता का शो 'साइनटेनमेन्ट' प्रस्तुत किया था .पंकज प्रसून पेशे से केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान लखनऊ में तकनीकी अधिकारी हैं। वह कहते हैं कि वैज्ञानिक तन की वैक्सीन बनाता है लेकिन कवि मन की वैक्सीन बनाता है, वैज्ञानिक पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन देता है लेकिन कवि के प्वाइंट में पावर होती है।

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