लखनऊ में भारी बार‍िश में जमीन फटने-धंसने का अंदेशा, अंधाधुंध भूजल दोहन से व‍िस्‍फोटक हुई स्‍थ‍ित‍ि

केंद्रीय भूजल बोर्ड के पूर्व वैज्ञानिक बीबी त्रिवेदी के अनुसार लखनऊ में किए गए एक अध्ययन में बेहद चिंताजनक तथ्य सामने आए हैं। इसके मुताबिक अंधाधुंध दोहन से भूजल स्ट्रेटा के सूखने के साथ उनका लचीलापन खत्म हो गया है।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Wed, 20 Jan 2021 07:06 AM (IST) Updated:Wed, 20 Jan 2021 04:31 PM (IST)
लखनऊ में भारी बार‍िश में जमीन फटने-धंसने का अंदेशा, अंधाधुंध भूजल दोहन से व‍िस्‍फोटक हुई स्‍थ‍ित‍ि
लखनऊ में गहरे स्रोतों से रोज निकल रहा 122 करोड़ लीटर भूजल।

लखनऊ, [रूमा सिन्हा]। लखनऊ सहित सूबे के सभी प्रमुख शहरों में भूजल के बेलगाम दोहन से खनन जैसे गंभीर हालात पैदा हो गए हैं। स्थिति इतनी भयावह है कि 15 वर्षों के दौरान शहर के 42 फीसद क्षेत्रफल में भूजल स्तर 25 मीटर से अधिक गहराई तक पहुंच गया है। भूवैज्ञानिकों के अनुसार इस हद तक किया जाने वाला दोहन भूजल खनन के दायरे में माना जाएगा। वजह यह है कि भूजल भंडारों के उस हिस्से से अब दोहन किया जा रहा है, जो भविष्य निधि के रूप में सुरक्षित था और जिसका बारिश से रिचार्ज होना असंभव है।

भारी बारिश पर जमीन धंसने का खतरा

केंद्रीय भूजल बोर्ड के पूर्व वैज्ञानिक बीबी त्रिवेदी के अनुसार लखनऊ में किए गए एक अध्ययन में बेहद चिंताजनक तथ्य सामने आए हैं। इसके मुताबिक अंधाधुंध दोहन से भूजल स्ट्रेटा के सूखने के साथ उनका लचीलापन खत्म हो गया है। मिट्टी की तहें कठोर होने से भविष्य में भारी वर्षा की स्थिति में जमीन फटने व धंसने का अंदेशा पैदा हो गया है। क्लीन ग्रीन एन्वायरमेंट सोसाइटी के ताजा प्रकाशन में 'लखनऊ शहर में भूजल दोहन का परिदृश्य' विषयक लेख में कहा गया है कि भूजल दोहन पर कोई नियंत्रण न होने से जनपद में हालात विस्फोटक हो रहे हैं।

इन क्षेत्रों में हालात भयावह

भूजल विशेषज्ञ आरएस सिन्हा के इस तकनीकी पत्र में कहा गया है कि जनपद में हर रोज करीब 122 करोड़ लीटर भूजल गहरे स्रोतों से निकाला जा रहा है। चि‍ंता की बात यह है कि जल संस्थान द्वारा हर रोज पेयजल आपूर्ति के लिए मात्र 39 करोड़ लीटर भूजल का दोहन किया जा रहा है। वहीं, सरकारी व निजी प्रतिष्ठानों, बहुमंजिला इमारतों, कॉलोनियों, होटल, अस्पताल व अन्य व्यावसायिक गतिविधियों, उद्योग एवं घरेलू सबमर्सिबल बोरि‍ंग से 82.5 करोड़ लीटर भूजल का दोहन हर रोज किया जा रहा है। नतीजा यह है कि शहर में घनी आबादी वाले क्षेत्र जैसे गोमती नगर, इंदिरा नगर, अलीगंज, महानगर, न्यू हैदराबाद, हजरतगंज, चौक, वृंदावन कॉलोनी व चारबाग आदि में जल स्तर 25 से 40 मीटर की गहराई तक पहुंच चुका है।  बाबा साहब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय (बीबीएयू) के नदी विशेषज्ञ प्रो. वेंकटेश दत्ता के मुताबिक गंगा के मैदानी क्षेत्र में जो रिचार्ज हो भी रहा है, वह गहरे एक्यूफर में नहीं जा रहा है।

अन्य शहरों में भी बढ़ता भूजल दोहन

जलनिगम की रिपोर्ट को देखें तो सूबे के 653 शहरी क्षेत्रों में से 622 में जलापूर्ति पूरी तरह भूजल पर निर्भर है। केवल 31 शहरों में ही नदी व अन्य सतही स्रोतों से आपूर्ति की जा रही है।  

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