लखनऊ के केंद्रीय मृदा लवणता के क्षेत्रीय अनुसंधान संस्थान को मिला सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिक पोस्टर पुरस्कार, आनलाइन संगोष्ठी में मिला सम्‍मान

जलकुंभी का प्रयोग कर ऊपर भूमि को जैविक रूप से सुधारने के लिए लखनऊ स्थित केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान के क्षेत्रीय केंद्र को सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिक पोस्टर पुरस्कार मिला है। संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डा.संजय अरोड़ा व उनकी टीम को यह पुरस्कार मिला है।

By Rafiya NazEdited By: Publish:Sat, 23 Oct 2021 06:47 PM (IST) Updated:Sat, 23 Oct 2021 06:47 PM (IST)
लखनऊ के केंद्रीय मृदा लवणता के क्षेत्रीय अनुसंधान संस्थान को मिला सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिक पोस्टर पुरस्कार, आनलाइन संगोष्ठी में मिला सम्‍मान
केंद्रीय मृदा लवणता के क्षेत्रीय अनुसंधान संस्थान को मिला सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिक पोस्टर पुरस्कार।

लखनऊ, [जितेंद्र उपाध्याय]। जलकुंभी का प्रयोग कर ऊपर भूमि को जैविक रूप से सुधारने के लिए लखनऊ स्थित केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान के क्षेत्रीय केंद्र को सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिक पोस्टर पुरस्कार मिला है। संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डा.संजय अरोड़ा व उनकी टीम को यह पुरस्कार मिला है। उन्होंने वैज्ञानिकों को बधाई दी है। उन्होंने बताया कि इटली के संयुक्त राष्ट्र-खाद्य एवं कृषि संगठन की ओर से 20 से 22 अक्टूबर के बीच आनलाइन संगोष्ठी के दौरान यह अवार्ड मिला है। संगाेष्ठी में विश्व के 110 देशों के 5500 से अधिक वैज्ञानिकों ने शोध को प्रदर्शित कर प्रतिभाग किया।

डा.अरोड़ा ने बताया कि अभी तक जिप्सम का प्रयोग कर किसान रासायनिक तरीके से ऊसर युक्त जमीन को उपजाऊ बनाने का कार्य करते हैं । लागत अधिक होने के कारण किसान इसका प्रयोग करने से कतराते भी हैं। वैज्ञानिकों ने जलकुंभी का प्रयोग कर ऊसर को कम करने का कार्य किया। ऊसर सुधार के साथ ही उत्पादन में भी इजाफा हो रहा है। देश में करीब सात लाख हेक्टेयर ऊसर भूमि है। जलाशयों में जलकुंभी की मात्रा बढ़ती जा रही है। ऐसे में जलकुंभी को जलाशयों से निकालकर वैज्ञानिक तरीकाें से इसका प्रयोग किया जा सकता है। इसका प्रयोग करके किसान सरकार की मंशा के अनुरूप अपनी आय को दो गुनी कर सकते हैं।

उत्पादन लागत में कमी: प्रधान वैज्ञानिक डा.संजय अरोड़ा ने बताया कि इसके प्रयोग से गेहूं व धान के उत्पादन में आने वाले खर्च मेें भी कमी आई है। अनुसंधान संस्थान की ओर से किए गए परीक्षण में धान के उत्पादन में औसत 60 पैसे की लागत में एक रुपये का उत्पादन और 41 पैसे की लागत में दो रुपये के गेहूं के उत्पादन का अनुमान सामने आया है। अब वैज्ञानिक किसानों को जागरूक कर जलकुंभी से ऊसर सुधारने की पहल करेंगे। लखनऊ के मोहनलालगंज के पटवा खेड़ा में संस्थान की ओर से किसानोें को जागरूक किया जा रहा है।

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