High Court News: घर के अंदर गोवध करना लोक व्यवस्था छिन्न भिन्न करना नहीं, कोर्ट ने रद किया रासुका आदेश
कोर्ट ने कहा कि मान भी लिया जाए कि याचियों के घर के अंदर गाय के गोश्त के टुकड़े किए जा रहे थे तो उससे कानून व्यवस्था बिगडऩे की बात तो मानी जा सकती है किंतु लोक व्यवस्था बिगडऩे की बात नहीं मानी जा सकती।
लखनऊ, विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने सीतापुर के तीन लोगों के खिलाफ 14 अगस्त 2020 को लगाया गया राष्ट्रीय सुरक्षा कानून आदेश रद कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि मान भी लिया जाए कि याचियों के घर के अंदर गाय के गोश्त के टुकड़े किए जा रहे थे तो उससे कानून व्यवस्था बिगड़ने की बात तो मानी जा सकती है किंतु लोक व्यवस्था बिगडऩे की बात नहीं मानी जा सकती। कोर्ट ने कहा कि रासुका लगाने के लिए यह देखना आवश्यक है कि अभियुक्तों के कृत्य से लोक व्यवस्था छिन्न भिन्न हुई हो।
यह आदेश जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस सरोज यादव की पीठ ने इरफान, परवेज व रहमतुल्लाह की ओर से दाखिल तीन अलग अलग बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिकाओं को मंजूर करते हुए दिया। मामले के अनुसार पुलिस को सूचना मिली थी कि आरोपितों के घर पर गाय मार कर लाई गई है और वहां उसके मांस के टुकड़े किए जा रहे हैं। इस पर सीतापुर की तालगांव पुलिस ने छापा मारकर इरफान व परवेज को पकड़ा था। उन्होंने रहमतुल्लाह व दो अन्य के नाम बताए। बाद में रहमतुल्लाह भी पकड़ लिया गया।
घटना की रिपोर्ट 12 जुलाई 2020 को तालगांव थाने पर गौहत्या व अन्य अपराधों के आरोप में दर्ज की गई। बाद में याचियों पर गैंगस्टर भी लगा दिया गया। पुलिस व प्रशासन की रिपोर्ट पर 14 अगस्त 2020 को याचियों पर रासुका भी तामील करा दिया गया। इसी आदेश को याचीगणों ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। कोर्ट ने याचिकाएं मंजूर करते हुए कहा कि किसी का अपने घर के अंदर चुपचाप गोवध करना कानून व्यवस्था का विषय तो हो सकता है लेकिन इसकी ऐसी स्थिति से तुलना नहीं की जा सकती कि गोवध करने वाले आम लोगों पर हमला कर देते हों।