लविवि ने श्रेष्ठ अध्यापक और श्रेष्ठ छात्र दिए

डॉ. दिनेश शर्मा लखनऊ विश्वविद्यालय में मैं विद्यार्थी के रूप में भी रहा हूं साथ ही अध्यापक के रूप म

By JagranEdited By: Publish:Tue, 24 Nov 2020 12:45 AM (IST) Updated:Tue, 24 Nov 2020 12:45 AM (IST)
लविवि ने श्रेष्ठ अध्यापक और श्रेष्ठ छात्र दिए
लविवि ने श्रेष्ठ अध्यापक और श्रेष्ठ छात्र दिए

डॉ. दिनेश शर्मा

लखनऊ विश्वविद्यालय में मैं विद्यार्थी के रूप में भी रहा हूं, साथ ही अध्यापक के रूप में भी काम कर चुका हूं। इस विश्वविद्यालय ने कई श्रेष्ठ अध्यापक और छात्र दिए हैं। मुझे याद आता है कि प्रो. एमपी सिंह साहब प्रॉक्टर हुआ करते थे। उनकी गाड़ी का हॉर्न सुनते ही विद्यार्थी अपनी कक्षाओं में पहुंच जाते थे। यही हाल डीन और प्रोफेसर के आने पर भी रहता था। ये विश्वविद्यालय शिक्षकों के सम्मान के लिए विशेष तौर पर जाना जाता था। यहा के कई छात्र आइएएस परीक्षा में चयनित होकर रिकार्ड कायम कर चुके हैं। पूर्व राष्ट्रपति शकर दयाल शर्मा जी भी यहीं के छात्र रहे हैं। यहीं से पद्म विभूषण, पद्मश्री कलाकार निकल चुके हैं। हमेशा से ही लखनऊ विश्वविद्यालय गरिमापूर्ण रहा है।

विद्यार्थी के तौर पर मैं 1981 में यहा आया था। तबसे विश्वविद्यालय से जुड़ा हुआ हूं। 1988 में मैं प्रवक्ता हुआ था। तब से अब तक प्रोफेसर के रूप में कार्य कर रहा हूं। जब मैं यहा विद्यार्थी था तब डीन प्रो. केके सक्सेना हुआ करते थे। वे मेरे गाइड भी रहे हैं। मुझे याद है जब वे कक्षा में पहुंचते थे तो सभी छात्र शात हो जाया करते थे। बाद में एसबी सिंह साहब कुलपति बने। उनका पढ़ाने का अपना एक तरीका था। उनके भी कक्षा में पहुंचते ही सब शात हो जाया करते थे। हर शिक्षक की अपनी एक अलग अदा थी। सभी अपने-अपने विषय के माहिर थे। पहले के समय में शिक्षक एक घटे का लेक्चर लेते थे और जिस विषय के बारे में वो पढ़ा रहे होते थे, उन्हें उसके बारे में पता होता था। विद्यार्थी ध्यान से सुना करते थे। वो सब यादें आज भी बनी हुई हैं। उस समय जब छात्रसंघ के चुनाव होते थे तो विद्यार्थियों की राजनीतिक गतिविधिया बढ़ जाती थीं। कभी-कभी छात्रों के आदोलन भी होते थे। वो एक दौर था जब विश्वविद्यालय में गहमा-गहमी होती थी। उस दौरान कई छात्र नेता बड़े पदों पर भी पहुंचे।

एमकॉम में मेरे अच्छे नंबर आए थे। उसके बाद मैं पार्ट टाइम लेक्चरर के रूप में नियुक्त हुआ था। तब मुझे 1100 रुपये मिलते थे। उस बीच मैंने उन लोगों को भी पढ़ाया, जिनका कभी मैं विद्यार्थी हुआ करता था। विश्वविद्यालय के कारण ही मुझे कम उम्र में ये विशेष अनुभव प्राप्त हुआ।

(लेखक उप मुख्यमंत्री हैं)

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