Lt Governor J&K : पूर्वी उत्तर प्रदेश में भाजपा के चर्चित चेहरों में होती है मनोज सिन्हा की गिनती

Lt Governor JK गाजीपुर से लोकसभा सांसद रहे मनोज सिन्हा के 2019 में चुनाव हारने के बाद कयास लगाए जा रहे थे कि पार्टी उनको राज्यसभा में भेजेगी।

By Dharmendra PandeyEdited By: Publish:Thu, 06 Aug 2020 10:30 AM (IST) Updated:Thu, 06 Aug 2020 10:55 AM (IST)
Lt Governor J&K : पूर्वी उत्तर प्रदेश में भाजपा के चर्चित चेहरों में होती है मनोज सिन्हा की गिनती
Lt Governor J&K : पूर्वी उत्तर प्रदेश में भाजपा के चर्चित चेहरों में होती है मनोज सिन्हा की गिनती

लखनऊ, जेएनएन। नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में रेल तथा संचार राज्यमंत्री रहे मनोज सिन्हा को अब एक बार फिर बड़ा ओहदा दिया गया है। गाजीपुर से लोकसभा सांसद रहे मनोज सिन्हा के 2019 में चुनाव हारने के बाद कयास लगाए जा रहे थे कि पार्टी उनको राज्यसभा में भेजेगी, लेकिन अब उनको जम्मू-कश्मीर का उपराज्यपाल बनाया गया है।

रेल राज्यमंत्री तथा संचार राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के अपने कार्यकाल के दौरान बेहद सक्रिय रहे मनोज सिन्हा 2017 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने की भी दौड़ में शामिल थे। मनोज सिन्हा उत्तर प्रदेश के गाजीपुर के निवासी हैं। इसी जिले को उन्होंने अपनी कर्मभूमि भी बनाया और उनकी गिनती पूर्वी भारत के भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख चेहरों में होती हैं। मनोज सिन्हा के बारे में ऐसी चर्चाएं होती हैं कि वह पीएम नरेंद्र मोदी के सबसे विश्वासपात्र नेताओं में से एक हैं।

इसी कारण उनको अब एक और बड़ी जिम्मेदारी जम्मू-कश्मीर के नए उप राज्यपाल के रूप में मिली है। वह गिरीश चंद्र मुर्मू की जगह लेंगे, मुर्मू को भी पीएम मोदी का विश्वासपात्र माना जाता है। उनकी क्षमता को देखते हुए उनको बेहद संवेदनशील माने जाने वाले जम्मू और कश्मीर के उपराज्यपाल की बड़ी जिम्मेदारी मिली है। जमीन से जुड़े भारतीय जनता पार्टी के नेता मनोज सिन्हा को पद की बड़ी जिम्मेदारी मिलने का मतलब जम्मू-कश्मीर के उच्चस्थ पद पर अनुभवी राजनीतिक को वरीयता मिलना है। 

छात्र राजनीति से संसद तक का सफर

मनोज सिन्हा ने वाराणसी के काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से बीटेक तथा एमटेक की शिक्षा ली। वह वहां पर 1982 में छात्र संघ के अध्यक्ष बने। इसी के बाद से उनका राजनीतिक सफर आगे चला। गाजीपुर से वह 1996 में पहली बार लोकसभा के लिए चुने गए और उन्होंने 1999 में दोबारा जीत हासिल की। सिन्हा 1989 से 1996 तक भाजपा की राष्ट्रीय परिषद के सदस्य रहे। भाजपा के 2014 में लोकसभा चुनाव में परचम लहराने के दौरान वह गाजीपुर से फिर सांसद बने। इसके बाद रेल राज्य मंत्री रहे हैं और बाद में उन्हेंं संचार मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार भी सौंपा गया था। केंद्रीय मंत्री की हैसियत से पहुंच का इस्तेमाल करने के साथ ही संचार विभाग का स्वतंत्र प्रभार और रेल राज्यमंत्री का पद संभालने के अलावा गाजीपुर के लोग उन्हेंं विकास के लिए जानते हैं। अब वह केवल गाजीपुर ही नहीं, पूर्वी उत्तर प्रदेश के कई जिलों में भाजपा के मजबूत स्तंभ के रूप में स्थापित हो चुके हैं। कद्दावर नेता मनोज सिन्हा को 2019 में बसपा-सपा के संयुक्त प्रत्याशी मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी ने शिकस्त दी। 

मनोज सिन्हा का जन्म 1 जुलाई, 1959 को मोहनपुरा (गाजीपुर, उत्तर प्रदेश) में हुआ था। उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक व एमटेक किया। एक मई 1977 को मनोज सिन्हा ने भागलपुर (बिहार) की नीलम सिन्हा से विवाह किया। मनोज सिन्हा की एक बेटी है जिसकी शादी हो चुकी है और बेटा एक टेलीकॉम कंपनी में कार्यरत है। मनोज सिन्हा का शौक खेती भी है। उनका लगाव पिछड़े गांवों की तरफ हमेशा से ही रहा है। उन्हेंं राजनीति में एक ईमानदार नेता के रूप में जाना जाता है। मनोज सिन्हा उन ईमानदार नेताओं में शुमार हैं, जिन्होंने अपने सांसद निधि का शत-प्रतिशत इस्तेमाल लोगों के विकास में लगाया।

गौरतलब है कि 5 अगस्त यानी बीते बुधवार ही जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटे एक साल पूरा हुआ। इसी बीच बुधवार शाम को जीसी मुर्मू के इस्तीफे की खबर आई थी। जीसी मुर्मू का इस्तीफा राष्ट्रपति ने स्वीकार कर लिया है। 

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