लखनऊ घरों में हुई भगवान गोवर्धन की हुई पूजा, लगा अन्नकूट का भोग

लखनऊ में दीपोत्सव के दूसरे दिन रविवार को अन्नकूट के भोग के साथ ही भगवान श्री कृष्ण के गोवर्धन स्वरूप की आराधना की गई। मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाकर लोगों के जानमाल की रक्षा की थी।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Sun, 15 Nov 2020 07:05 PM (IST) Updated:Sun, 15 Nov 2020 07:05 PM (IST)
लखनऊ घरों में हुई भगवान गोवर्धन की हुई पूजा, लगा अन्नकूट का भोग
लखनऊ में घरों में हुई भगवान गोवर्धन की हुई पूजा, लगाया गया अन्नकूट का भोग।

लखनऊ, जेएनएन। दीपोत्सव के दूसरे दिन रविवार को अन्नकूट के भोग के साथ ही भगवान श्री कृष्ण के गोवर्धन स्वरूप की आराधना की गई। मान्यता है  कि भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाकर लोगों के जानमाल की रक्षा की थी। दीपावली के दूसरे दिन कार्तिक माह शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को हर साल पर्व मनाया जाता है। इस दिन को भगवान कृष्ण द्वारा  देवता को पराजित किए जाने की मान्यता को लेकर भी पर्व मनाया जाता है।

रविवार को सुबह 10: 36 बजे  से  सोमवार को सुबह  7:06 बजे तक प्रतिपदा का मान होने से दिनभर पूजा का क्रम चलता रहा। गोशाला में जाकर कुछ लोगों ने गाय की पूजा की। कान्हा उपचन के साथ गापेश्वर गौशाला और मनकामेश्वर उपवन घाट पर भी पूजन किया गया। महंत देव्या गिरि की ओर से मंदिर में अन्नूकूट का भोग लगाया गया। डालीगंज के श्रीमाधव मंदिर परिसर में आयोजित हुए उत्सव में सीमित संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। संयोजक अनुराग साहू ने बताया कि गेहूं, चावल जैसे अनाज, बेसन से बनी और पत्ते वाली सब्जियों से बने पकवानों का भाेग लगाया गया।महाराष्ट्र समाज की ओर ओर से बलि पड़वा के रूप में पर्व मनाया गया। श्री खाटू श्याम मंदिर परिसर में पदाधिकारियों ने पूजन किया। कोरोना संक्रमण के चलते लोगों को दूर से दर्शन की अनुमति दी गई थी। मंदिर के संगठन मंत्री सुधीश गर्ग ने बताया कि सुरक्षा कारणों से आयोजन नहीं किया गया।

इस्कॉन मंदिर के अध्यक्ष अपरिमेय श्याम दास के सानिध्य में पूजन किया गया और अन्नकूट चढ़ाया गया। सुरक्षा के चलते छोटा आयोजन किया गया।  रिसालदार पार्क में होने वाला तीन दिवसीय आयोजन में सिर्फ पूजा की गई। बंगाली समाज की ओर से होने वाले आयोजन को स्थगित कर दिया गया। घसियारी मंडी स्थित कालीबाड़ी मंदिर के समिति के अध्यक्ष गौतम भट्टाचार्य ने बताया कि सुरक्षा के चलते केवल भोग लगाया गया।

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