Lohri 2021: डाकू दुल्ला के नाम से मनाई जाती है लोहड़ी, जान‍िए क्‍या है पूरी कहानी

Lohri 2021 अवध की तहजीब में उसी संस्कृति और परंपरा का एहसास कराने वाला पर्व लोहड़ी 13 जनवरी को मनाई जाएगी। नव दंपति और संतान सुख की प्राप्ति की खुशी इस पर्व की मस्ती को दोगुना कर देती है।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Mon, 11 Jan 2021 02:25 PM (IST) Updated:Tue, 12 Jan 2021 07:04 AM (IST)
Lohri 2021: डाकू दुल्ला के नाम से मनाई जाती है लोहड़ी, जान‍िए क्‍या है पूरी कहानी
दुल्ला नामक डाकू अमीरों को लूट कर गरीबों का दान करता था।

लखनऊ, [जितेंद्र उपाध्याय]। लोहड़ी का नाम आते ही मन में खुशी और उल्लास का दृश्य आंखों के सामने आ जाता है। ढोल ताशे पर भांगड़ा और गिद्दा का मनोरम दृश्य का सुखद एहसास पर्व को लेकर आस्था और विश्वास को और प्रगाढ़ करता है। अवध की तहजीब में उसी संस्कृति और परंपरा का एहसास कराने वाला पर्व लोहड़ी 13 जनवरी को मनाई जाएगी। नव दंपति और संतान सुख की प्राप्ति की खुशी इस पर की मस्ती को दोगुना कर देती है। लखनऊ गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष राजेंद्र सिंह बग्गा ने बताया क‍ि लोहड़ी डाकू के नाम से मनाई जाती है। लोहड़ी मनाने के पीछे कथा है कि दुल्ला नामक डाकू अमीरों को लूट कर गरीबों का दान करता था।

एक दिन उसके साथियों ने एक विवाहिता को लूटकर उसे साथ ले गए और डाकू के सामने पेश किया। डाकू साथियों पर नाराज हुआ और उसे उसके पिता के घर भेज दिया। पिता ने उसे स्वीकार करने से मना कर दिया। उसने ससुराल पक्ष को भेजा तो उन्होंने ने भी अपनाने से मना कर दिया। डाकू ने उसे अपनी बेटी का दर्जा कर लोहड़ी के दिन ही धूमधाम से शादी की। उसी दिन से लोहड़ी मनाई जाती है और उसी की याद में पारंपरिक गीत सुंदरिए मुंदरिए तेरा कौन विचारा हो, दुल्ला भट्टी वाला हो...गीत पर लोग आज भी नृत्य करते हैं। सिख समाज के इस पर्व पर जहां आग जलाकर भांगड़ा और गिद्दा करते हैं तो वहीं शादी व संतान होने की खुशी पर लोहड़ी का विशेष आयोजन करते हैं। गीतों के साथ आग में रेवड़ी, मूंगफली, पट्टी व मखाना डालकर खुशियां मनाते हैं।

गुरुद्वारों में सजेगा विशेष दीवान

उल्लास के पर्व पर गुरुद्वारों में भी विशेष दीवान सजाया जाएगा। गुरुद्वारा नाका हिंडोला में जहां विशेष दीवान के साथ लंगर होगा तो गुरुद्वारा इंदिरानगर में विशेष पाठ के साथ लंगर होगा। गुरुद्वारा मानसरोवर कानपुर रोड और गुरुद्वारा आलमबाग भी भी विशेष दरबार सजेगा। गुरुद्वारा यहियागंज, पटेलनगर, लाजपतनगर, चंदरनगर व आशियाना में भी धार्मिक रूप से लोहड़ी मनाई जाएगी।

chat bot
आपका साथी