Leopard in Lucknow: लखनऊ में वन विभाग टीम के हाथ नहीं लगा तेंदुआ, सुलतानपुर रोड पर घूमते देखा गया

सुलतानपुर रोड सीजी सिटी से सटे मस्तेमउ गांव के आसपास तेंदुआ देखे जाने से दहशत है। गुरुवार को एक तेंदुआ देखा गया था। यहां पर गोमती नदी के किनारे के एक बड़ा जंगल भी है। चरवाहों ने तेंदुआ को देखा तो दूर से उसकी फोटो भी खीची।

By Vikas MishraEdited By: Publish:Fri, 23 Jul 2021 01:42 PM (IST) Updated:Fri, 23 Jul 2021 01:42 PM (IST)
Leopard in Lucknow: लखनऊ में वन विभाग टीम के हाथ नहीं लगा तेंदुआ, सुलतानपुर रोड पर घूमते देखा गया
डीएफओ अवध डा. आरके सिंह ने बताया कि तेंदुआ मस्तेमऊ के जंगल में है और आबादी में नहीं गया है।

लखनऊ, जागरण संवाददाता। सुलतानपुर रोड सीजी सिटी से सटे मस्तेमउ गांव के आसपास तेंदुआ देखे जाने से दहशत है। गुरुवार को एक तेंदुआ देखा गया था। यहां पर गोमती नदी के किनारे के एक बड़ा जंगल भी है। चरवाहों ने तेंदुआ को देखा तो दूर से उसकी फोटो भी खीची। तेंदुआ स्टेडियम की तरफ जंगल में चला गया।

सीजी सिटी में आने वाले मस्तेमउ गांव के कुछ चरवाहे गुरुवार को जानवर लेकर चराने गए थे। शाम को उन्होने एक तेंदुआ को देखा जो कि जंगल की ओर जा रहा था। चरवाहों ने उसकी फोटो भी खींची। इसके बाद इस बात की चर्चा होने लगी कि जंगल में तेंदुआ मौजूद है। गांव के रुमेश यादव ने देर रात बताया कि उन्होंने व निखिल ने इसकी सूचना पुलिस को दी है। ज्ञान सिंह ने भी तेंदुआ देखा। बताया कि पुलिस एक बार आकर लौट गई है सुबह फिर वन विभाग के कर्मचारियों के साथ आने को कहा है।

डीएफओ अवध डा. आरके सिंह ने बताया कि तेंदुआ मस्तेमऊ के जंगल में है और आबादी में नहीं गया है। वन विभाग की टीम तेंदुआ की लोकेशन पता कर रही है। उसके पगमार्क देख जा रहे हैं, जिससे पता चल सकेगा कि वह किस-किस जगह गया है। गत वर्ष मुल्लाखेड़ा के पास तेंदुआ पकड़ा गया था। उस समय भी इकाना स्टेडियम के पास जंगल में तेंदुआ होने की जानकारी वन विभाग को दी गई थी। तब यहां पिंजरा भी लगाया गया था। अब काफी समय बाद फिर तेंदुआ देखे जाने की खबर से मस्तेमउ गांव में दहशत का माहौल पैदा हो गया। सुलतानपुर रोड व गोमती नदी के किनारे मस्तेमऊ जंगल में पहले भी किसी जंगली जीव होने का मामला आया था। यहां पर एक पेड़ पर चीतल का अवशेष मिला था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने चीतल पर हमलाकर करने में किसी जंगली जानवर (वन्यजीव) के हमले की पुष्टि हुई थी।दरअसल पूर्व में लखनऊ में बाघ व तेंदुआ जैसे कई वन्यजीव आने की घटनाओं के कारण भी मस्तेमऊ जंगल पर विशेष निगाहें बनी हुई है। काकोरी में वर्ष 2012 में बाघ ने जब कई जानवरों को अपना शिकार बना लिया था और नाइट विजन कैमरे में उसका आधा धड़ कैद हो गया था, जब वन विभाग ने बाघ होने की पुष्टि की थी।

पांच किलोमीटर लंबा है जंगलः सुलतानपुर रोड पर गोमती नदी के किनारे मस्तेमऊ गांव से जुड़ा भी पांच किलोमीटर लंबा है। एक किलोमीटर चौड़ाई वाले इस घने जंगल में किसी भी जंगली जानवर के लिए भोजन पानी की पर्याप्त व्यवस्था है। कुछ दिन पहले मस्तेमऊ के निरीक्षण में गए अधिकारियों को अन्य वन्यजीव के साथ दो लकड़बग्घे भी दिखे थे।

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